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________________ ( १३२ ) परवानेकी नकल. १ श्री रामजी. AAAAAAM डूंगरगढके कचेरीके सिक्के छाप. AA MAAAAAA शहरश्री डूंगरगढरा हाकमा देसरंगे वरोभोमीयां चोधरीयां जोग ५ तीछा गुरां केवलचंद्रजी अठेमुं श्रीवीकानेर जावे छे सो इयारे साथे ऊंट १ वेगाररो छे सो मारगमें गांवदरगांव ऊंट १ वेगाररो दियां जावजो, फोटा मती घालजो. संवन १९४१ मीनि भादवा मुदी ७।। आपका सविस्तर पत्रव्यवहार यहाँपर नही दर्शा सकते परंतु वडेर धनी श्रीमान् शेट साहुकार जागीरदार वगैरा उच्च कोटीके लोक आपको बहुत बहातेथे और आप अपनी सादगीमही मग्न रहनेथे, गौचरीके अन्नको अमृत समझतेथे प्रायः गौचरीके लिये आपही उठा करतेथे. जब बहुनही वृद्ध
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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