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________________ ( ९७ ) इस्के उत्सर्पिणी अवसपिणी आदिभेट सिद्धान्तमे जान लेना. ___ इम्के वाट पाचमा भेद पदयास्तिकाय है दुनिया के तमाम स्पी जड पदार्थोफो इस द्रव्यमें सामिल करते है इस्के कन्ध देश-प्रदेश और परमाणुये चारभेद होते हैं प्रदेश और परमाणु सिरफ इतनाहि फर्क है कि पारीसे गारीफ हिमेश साथ मिले रहना इसे प्रदेश कहते है और वोहि हिस्सागव अराना हो जाता है तर परमाणु के व्यवहारम जाता है हमारे प्रियपाठकगणोयादरहे । कि जो पुहलात्मक चीज होगी उस्मै स्पर्ण रस गन्य और वर्ण (प) येह चार गुण जर होगें ! सारयादिकी तरह यह नहीं समयनादि हवामें सिरफ शर (यह पुद्गल यहा जाता है इसोभी गुण मानने है) और रपर्ण ये दोहि गुण रहते हैं नागमें शद्ध म्पर्श और रूप ये तीनहि गुण रहते है पाणिमें इनके साथ एक रसगुणके यह गानेसे चार हो जाते हे इनको गन्धयुक्त बनानेपर पृथ्वीमें पांच गुण रहते है किन्तु शहको छोडपर पुग़ल मात्र चार गुण रहने हैं ऐसा समझना चाहिये ! देग्विये देखिये तत्वार्थ स्नो पाचौं अध्यायके तेइममें सूत्रमें यदिलिखा है "स्पर्श रसगन्ध वर्णवन्तः पुद्गरा" यहॉपर मथम म्पर्श के ग्रहण करनेका मतल्य यह पतलानेका है कि महा प होगा बहा रसगन्ध वर्ण जरुर होगें मसलन वायुमें स्पर्श गुण मुख्यतया
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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