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________________ ३५. शिव-जहां-तहा विचर कर लोगों का कल्याण करनेवाला हो। ३६. सौम्य-प्रशान्त एवं पूर्णिमा के चन्द्र की तरह सब को शान्ति प्रदान करनेवाला हो । इनके अतिरिक्त प्राचार्य के विशेष गुण निम्नलिखित भी उपलब्ध होते है जाइसंपन्ने, कुलसपन्ने, बलसपन्ने, रूवसपन्ने, विणयसपन्ने, नाणसपन्ने, दसणसपन्ने, चरित्तसपन्ने, लज्जा सपन्ने, लाघवसपन्ने, लज्जालाघवसपन्ने ११ । ओयसी, तेयसी, वच्चसी ।१४। जियकोहे, जियमाणे, जियमाए, जियलोहे, जियनिद्दे, जिइंदिए जियपरीसहे, २१ जीवियास-मरणभय विप्पमुक्के ।२२। तवप्पहाणे, गुणप्पहाणे, करणप्पहाणे, चरणप्पहाणे, निगहप्पहाणे, निच्छयप्पहाणे, अज्जवप्पहाणे, मद्दवप्पहाणे, लाघवप्पहाणे, खतिप्पहाणे, मुत्तिप्पहाणे, विज्जप्पहाणे, मंतप्पहाणे, बंभप्पहाणं, नयप्पहाणे, नियमप्पहाणे, सच्चप्पहाणे, सोयप्पहाणे, नाणप्पहाणे, दसणप्पहाणे, चरित्तप्पहाणे । (राजप्रश्नीयसूत्र) प्राचार्य के अन्य विशिष्ट छः गुण जिस महान् प्रात्मा मे छः गुण हो, वह प्राचार्यत्व को नमस्कार मन्त्र [५७
SR No.010732
Book TitleNamaskar Mantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Shraman
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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