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________________ ७. जैसे पृथ्वी सब प्राणी, भूत, जीव, सत्व का आधार है, वैसे ही साधु भी सब जीवों का तथा चतुर्विध श्रीसंघ का माधार है। १०-कमल साधु कमल के समान होता है-कमल का स्वभाव भी अनोखा एवं अनुकरणीय है। वह अपनी अनेक विशेषताओं से सम्पन्न है। ठीक उन विशेषताओं से मिलती-जुलती विशेषताएं साधु में भी पाई जाती हैं, अत: शास्त्रकारों ने कमल की उपमा से साधु को उपमित किया है। १. जैसे कमल कीचड़ से उत्पन्न होता है, पानी में ही बढ़ता है फिर भी वह पानी से, कीचड़ में लिप्त नहीं होता, वैसे ही साधु भी गृहस्थ के घर जन्म लेता है, वहीं पर उसका भरण-पोषण हुआ फिर भी वह भोग-विलासिता से लिप्त नहीं होता। २. जैसे कमल अपनी सुगन्ध से पथिकों को सुख उपजाता है वैसे ही साधु भी उपदेश देकर भव्यजनों को सुख उपजाता है। ३. जैसे कमल के सौन्दर्य एवं सौरभ से मुग्ध होकर उसके चारों भोर भ्रमर गुजार करते हैं, वैसे ही साधु के सत्य, शील, मधुर, शान्ति, क्षमा आदि गुणों से भाकृष्ट हुए सज्जन पुरुषों के द्वारा उसकी मुक्तकंठ से स्तुति की जाती है । १५८] ।[ षष्ठ प्रकाश
SR No.010732
Book TitleNamaskar Mantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Shraman
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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