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________________ प्रन्थ-विषय-सूची mGee" १० गाथा नं. १-पगलाचरण और श्रावकधर्म प्ररूपण करनेकी प्रतिज्ञा २-देशविरतके ग्यारह प्रतिमास्थान ३-सम्यग्दर्शन कहनकी प्रतिज्ञा ४-सम्यग्दर्शनका स्वरूप ५-आप्त आगम और पदार्थोंका निरूपण ६-आप्त अठारह दोषोंसे रहित होता है ८-६ ७-सप्त तत्त्वोंका श्रद्धान करना सम्यक्त्व है ८-जीवोंके भेद-प्रभेद ... ११-१४ ह-जीवोके आयु, कुल-कोडि, योनि, मार्गणा, गुणस्थान आदि जाननेकी सूचना १०-अजीव तत्त्वका वर्णन ११-युद्गलके स्कन्ध, देश, प्रदेश और परमाणुरूप चार भेदोंका स्वरूप-वर्णन १२-पुद्गलके बादर, सूक्ष्म आदि छह भेदोंका वर्णन १३--आकाश आदि चार अरूपी द्रव्योंका वर्णन १६-२१ १४-द्रव्योंका परिणामीपना, मूत्तिकपना आदि की अपेक्षा विशेष वर्णन १५-व्यञ्जनपर्याय और अर्थपर्यायका स्वरूप ... ૨૫ १६-चेतन और अचेतन द्रव्योंका परिणामी अपरिणामी आदिकी अपेक्षा विश्लेषण २६-३८ १७--आस्रव तत्त्वका वर्णन ३९-४० १८-बन्धतत्त्व १६-संवरतत्त्व ४२ २०-निर्जरातत्त्व ४३-४४ २१-मोक्षतत्त्व २२-निर्देश, स्वामित्व आदि छह अनुयोग द्वारोंकी अपेक्षा जीव आदि तत्त्वोंके जाननेकी सूचना ४६-४७ २३-सम्यग्दर्शनके आठ अंगोके नाम १८ २४ ४१ ४८
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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