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________________ प्राकृत-शब्द-संग्रह सायार (सागार साकार स्वाद्य शारीर सारमेय शालि गृहस्थ आकारवान् आस्वाद-योग्य शारीरिक कुत्ता धान्य-विशेष व्रतीगृहस्थ मास-भक्षी जानवर सदोष दूसरा गुणस्थान ३८३ २६१ १७६ १७१ ४३० साय सारीर सारमेय सालि सावन सावय सावज्ज सासण साहण साहिय साहु सिक्खावय सिक्खावण सिग्घ सिट्ठ २६१ श्रापद सावध सासादन साधन साधिक ४५ ४६ १७४ साधु २३१ २०७ २८४ ३०५ सिंदुवार ४३१ सिद्ध सिद्धन्त सिद्धत्थ सिद्धिसोक्ख ५४२ ४२१ ३७५ सिय ४०६ शिक्षाव्रत शिक्षापन शीघ्र शिष्ट सिन्दुवार सिद्ध सिद्धान्त सिद्धार्थ सिद्धिसौख्य सित सितपंचमी सितातपत्र शिर श्री श्रीखंड श्रीनन्दि श्रीभूति शिला शिलारस शिष्य शिशिर सियपंचमी सियायवत्त सिर सिरि सिरिखंड ३५३ ५०५ कुछ अधिक मुनि मुनि शिक्षा देनेवाले व्रत शिक्षण , सिखाना । जल्दी सभ्य सिन्दुवार, वृक्ष-विशेष, निर्गुडीका पेड़ मुक्त सिद्धान्त, परमागम सरसो मोक्ष-सुख श्वेत शुक्लपक्षीय पचमी तिथि श्वेत-छत्र मस्तक लक्ष्मी चन्दन-विशेष आचार्य-विशेष एक आचार्यका नाम चट्टान शिलाजीत अन्तेवासी, दीक्षित शीतल, ऋतु विशेष बच्चा चोटी, अग्रभाग ज्वाला, चोटी मस्तक-मणि सिहाकृति आसन-विशेष ४६६ ४०३ सिरिणदि सिरिभूइ सिला ४४२ १३० १५२ ४३८ सिल्हारस सिस्स सिसिर सिसु शिशु सिहर शिखर शिखा CWW. 0.0am. MKAMM AUG शिखामणि सिंहासन सिहा सिहामणि सिंहासण (सीउण्ह । सीदुण्ह सीय "Ord शीतोष्ण सर्द-गर्म शीत ठंडा
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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