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________________ ८२४ प्राकृत साहित्य का इतिहास दोसियट्ट (दौषिकशाला-कपड़े की द्रोणमुख १४९, १५८ दुकान) १५२, ४८९ द्रोणसूरि (द्रोणाचार्य)६६८ दौवारिक १४१ द्रोणाचार्य ७५, ९२, १०५, १८२, १९९ चानतराय ३१५ द्रौपदी ८४, ९३, २६८,४९९, ५६७ घुत (कला)५०७ चूतक्रीडा ३८७, ४८४ धनंजय ६५७, ६५८, ६५९, ६९० धूतगृह ९६ धनदेव ५३८ द्वादश (उपांग) १०४ धनपाल (ऋषभपंचाशिका के कर्ता) द्वादशकुलक ३४० ५२२, ५७० द्वादशांग (गणिपिटक) ४४, ६४, ९८, धनपाल (अपभ्रंश के लेखक) ४४१ १४४, २७१, २७४, २७७, २७९, (नोट) ३०३, ३२३ धनपाल (सेठ) ३७८, ५६१ द्वादशानुप्रेक्षा ३११ धनपाल (तिलकमंजरी के कर्ता) द्वारका नगरी (द्वारवती) ८०,८८, ३७५, ३७७ ११३ (नोट), १२२, २६२, २६८, धनपाल (पाइयलच्छीनाममाला) ४३७, ४६४, ५१४, ५६७ के कर्ता) ६५५ द्विपदी (छंद)३९४, ५३६ धनसार ५२३ द्वीप १११ धनार्जन ४७६, ५११ द्वीपसागर ३१६ धनिक ६५९ द्वद्याश्रयकाव्य (कुमारपालचरित) धनुर्वेद ३९०, ४२३, ४३२, ५०७ ५९८ धनुर्विद्या ९३ द्रम्म २२३, ४६०, ४७४ धनुषरत्न ५३२ द्रव्यपरीक्षा ६७९ धनेश्वर (सार्धशतक के बृत्तिकार) द्रव्यवाद २७२ द्रव्यसंग्रह ३१५ धनेश्वरसूरि (श्रीचन्द्रसूरि के गुरु) द्रव्यानुयोग २३० ३५० द्राविड़ २७ धनेश्वर (सुरसुंदरीचरिय के कर्ता) द्राविड (जैनाभास)३२० ४३१, ५३७ द्राविड (संघ)३०१, ३२० धन्य ७१, ८१, ४३१ द्राविडिका ६४२ धम्मकहाणयकोस (कथानककोश) द्राविडी भाषा ६१२, ६२७ (नोट) दुपद ८४ धम्मपद ११,१६, ४३, दुम (व्युत्पत्ति) २५६ १६४, ६३७ दुमपुष्पिका १६५ धम्मपरिक्खा (धर्मपरीक्षा)३४३ द्रोण ६५५ धम्मरयणपगरण (धर्मरत्नप्रकरण) द्रोणगिरि ३०३ ३४१, ३४९
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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