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________________ प्राकृत ग्रन्थों की शब्दसूची ६९९ सह सहिष्णु वेटिका राजकन्या अतर%ग्लान = रुग्ण आसिआवण%= अपहरण उदुंदुग% उपहास्य बोह-तरुण पप्पा-प्राप्य = प्राप्त करके कउय- एक नट डगलक% शौच के समय टट्टी पोंछने | सारवण =प्रमार्जन के लिये जैन साधुओं द्वारा काम में | पुताई उद्भामिका लाये जानेवाले मिट्टी के ढेले कुडंड = बाँस की टोकरी संख= संग्राम खद्ध प्रचुर फुपुका-कंडे की आग (ग) निशीथचूर्णी (चूर्णियों फरुससाल-कुम्भकारशाला वलिट्ठ वरिष्ठ का काल ईसवी सन् की लगभग लिसी-ऋषि ६ठी शताब्दी) तलु-तरु सइक्षिय= पड़ोसी चुडलि= उल्का वुकण्णय =पासे काणिट्ट = पत्थर की ईंटें गोधम्म मैथुन सझिल्लक सगा भाई सीता-श्मशान मुहर्णतक= मुखवस्त्रिका खट्टिक =जाति का खटीक मोरग% कुण्डल मडह = लघु भश्चक-भानजा वग्गलि बारबार वमन करने की व्याधि डब्बहत्थ' = बायाँ हाथ लोमसी= ककड़ी गुज्झक्खिणी=स्वामिनी हंसोलीणं = कंधे पर चढ़ना होठ% अलीक इलय-छुरी वेस्सा=अनिष्टा रिणकंठ पानी का किनारा वोगड%= व्याकृत = स्फुट पाइलग-मिट्टी खोदने का फावड़ा तच्चण्णिय-बौद्ध भिक्षु चिलिञ्चिल = आई डिंडिम= गर्भ दोद्धिा =वर्तन एत्थ जती आसि= यहाँ कल यति था | सिग्गुण%=शतनु वृक्ष तेण मि न आतो इसलिये मैं नहीं अद्धाणकप्प-रात्रिभोजन आया वसुदेवहिण्डी ( ईसवी सन् की गुलु गुरु अंबलअंबर ___ लगभग पांचवीं शताब्दी केलिस कीदृश सस्सू-सास कहसिवकाठ का शिव कब्बडदेवया = कर्बटदेवता भूणय = पुत्र वंठाण = अविवाहित उम्मरी-देहली डिंडी (बंध)-गर्भसम्भव १. गुजराती में डावो हाथ
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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