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________________ पउमचरिय ५२७ गुणभद्र और आचार्य हेमचन्द्र ने त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित की संस्कृत में रचना की। फिर पुष्पदन्त ने अपभ्रंश में, और चामुण्डराय ने कन्नड में महापुरुषों के जीवनचरित लिखे । तमिल में भी चरितों की रचना हुई । इन चरितों में लौकिक और धार्मिक कथाओं का समावेश किया गया। ___ अपनी कल्पना के आधार से भी कल्पित जीवनचरितों की जैन आचार्यों ने रचना की | वासुदेवों में राम और कृष्ण के अनेक लोकप्रिय चरित लिखे गये । नायाधम्मकहाओ, अंतगडदसाओ और उत्तराध्ययनसूत्र में कृष्ण की कथा आती है। विमलसूरि ने पउमचरिय में राम का और हरिवंसचरिय में कृष्ण का चरित लिखा है। भद्रबाहु का वसुदेवचरित अनुपलब्ध है। संघदास के वसुदेवहिण्डी में वसुदेव के भ्रमण की कथा है। जिनसेन ने संस्कृत में और धवल ने अपभ्रंश में हरिवंशपुराण की रचना की। इसके सिवाय करकंडु, नागकुमार, यशोधर, श्रीपाल, जीवंधर, सुसढ आदि महापुरुष तथा अनेक गणधर, विद्याधर, केवली, यति-मुनि, सती-साध्वी, राजा-रानी, सेठ-साहुकार, व्यापारी, दानी आदि के जीवनचरित लिखे गये। पउमचरिय (पद्मचरित) वाल्मीकि की रामायण की भाति पउमचरिय में जैन परंपरा के अनुसार ११८ पर्यों में पद्म (राम) के चरित का वर्णन किया गया है। पउमचरिय के कर्ता विमलसूरि हैं जो नागिल १. डाक्टर हर्मन याकोबी द्वारा सम्पादित सन् १९१४ में भावनगर से प्रकाशित । इसका मूल के साथ शान्तिलाल शाहकृत हिन्दी अनुवाद प्राकृत जैन टैक्स्ट सोसायटी की ओर से प्रकाशित हो रहा है। इसके कुछ मुद्रित फर्मे प्रोफेसर दलसुख मालवणीया की कृपा से मुझे देखने को मिले। दिगम्वर आचार्य रविपेण ने इस ग्रन्थ के आधार पर सन् ६७८ में संस्कृत में पद्मपुराण की रचना की है। देखिये नाथूराम प्रेमी, जैन साहित्य का इतिहास, पृ० ८७ ।
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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