SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 535
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सातवाँ अध्याय प्राकृत चरित-साहित्य (ईसवी सन् की चौथी शताब्दी से लेकर १७वीं शताब्दी तक) कथा और आख्यानों की भाँति जैन मुनियों ने महापुरुषों के चरितों की भी रचना की है। जब ब्राह्मणों के पुराण-ग्रन्थों की रचना होने लगी, तथा रामायण, महाभारत और हरिवंशपुराण आदि की लोकप्रियता बढ़ने लगी तो जैन विद्वानों ने भी राम, कृष्ण और तीर्थंकर आदि महापुरुषों के जीवन चरित लिखना आरंभ किया। तरेसठशलाकापुरुषों के चरित में चौबीस तीर्थकर, बारह चक्रवर्ती, नौ वासुदेव, नौ बलदेव और नौ प्रतिवासुदेवों के चरितों का समावेश किया गया | कल्पसूत्र में ऋषभदेव, अरिष्टनेमि, पार्श्वनाथ और महावीर आदि तीर्थंकरों के चरितों का वर्णन किया गया। वसुदेवहिण्डी में तीथकरों के चरित लिखे गये | मरहेसर ने अपनी कहावलि' में तीर्थंकरों के चरितों की रचना की। यतिवृषभ की तिलोयपण्णत्ति और जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण के विशेषाश्यकभाष्य में महापुरुषों के चरितों को संकलित किया गया। निर्वृतिकुल के मानदेवसूरि के शिष्य शीलांकाचार्य (अथवा शीलाचार्य) ने सन् ८६८ में चउपन्नमहापुरिसचरिय में चौवन शलाकामहापुरुषों का जीवन १. डॉक्टर यू० पी० शाह द्वारा संपादित होकर यह ग्रंथ गायकवाड़ ओरिएंटल सीरिज़, बड़ौदा से प्रकाशित हो रहा है।
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy