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________________ कुमारपालप्रतिबोध लेकिन असली शूरवीर वह है जो पहले प्रहार नहीं करता ।" नगर के संबंध में उसने उत्तर दिया, "जिस नगर के लोग आगन्तुकों का स्वागत नहीं करते, उसे नगर नहीं कहा जाता ।" खेत के संबंध में शीलवती ने कहा, "व्यापार में द्रव्य की वृद्धि होने से यदि खेत का मालिक द्रव्य का उपभोग करे तो ही उसे उपभोग किया हुआ समझना चाहिये ।" नदी के बारे में उसने उत्तर दिया, "नदी में जीव-जन्तु और काँटों का डर रहता है, इसलिये नदी पार करते समय मैंने जूते नहीं उतारे।" __ शीलवती का श्वसुर अपनी पतोहू से बहुत प्रसन्न हुआ और उसने शीलवती को सारे घर की मालकिन बना दिया ।' कुछ समय बाद राजा ने अजितसेन की बुद्धिमत्ता से प्रसन्न हो उसे अपना प्रधान मंत्री बना लिया। एक बार अजितसेन को राजा के साथ कहीं परदेश में जाना पड़ा। चलते समय शीलवती ने अपने पति को एक पुष्पमाला भेंट करते हुए कहा कि मेरे शील के प्रभाव से यह माला कभी भी नहीं कुम्हलायेगी। राजा को जब इस बात का पता लगा तो उसने शीलवती की परीक्षा के लिए अपने मित्र अशोक को उसके पास भेजा। अशोक शीलवती के मकान के पास एक घर किराये पर लेकर रहने लगा। शीलवती ने उससे आधा लाख रुपया मांगा और रात्रि के समय आने को कहा | इधर शीलवती ने एक गड्ढा खुदवा कर उसके ऊपर एक सुंदर पलंग बिछवा दिया। नियत समय पर अशोक रुपया लेकर आया और पलंग पर बैठते ही गड्ढे में गिर पड़ा। शीलवती ने एक मिट्टी के बर्तन में डोरी बाँध उसे गड्ढे में लटका दिया और उसके जरिये गड्ढे में भोजन पहुँचाने लगी । उसके बाद राजा ने रतिकेलि, ललितांग और कामांकुर' नाम १. बौद्धों की धम्मपद अट्ठकथा में मृगारमाता विशाखा की कथा के साथ तुलना कीजिये; इस कथा के हिन्दी अनुवाद के लिये देखिये जगदीशचन्द्र जैन, प्राचीन भारत की कहानियाँ । २. हरिभद्रसूरि की समराइचकहा में भी इन नार्मों का उल्लेख है।
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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