________________
छेदशास्त्र
३२७ छेदशास्त्र इसे छेदनवति भी कहा गया है, इसमें ६० गाथायें (६४) हैं । इस पर एक लघुवृत्ति है। दुर्भाग्य से न तो मूल ग्रन्थकर्ता का और न वृत्तिकार का ही कोई पता चलता है | इसमें व्रत, समिति आदि सम्बन्धी दोषों के प्रायश्चित्त का विधान है।
१. छेदपिण्ड और छेदशास्त्र माणिकचन्द दिगम्बर जैन ग्रंथमाला द्वारा वि० सं० १९७८ में प्रकाशित प्रायश्चित्तसंग्रह में संगृहीत हैं।