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________________ ३४२ ६४३ ६४६ ६२५ नाटकों में प्राकृत के रूप ६११ । प्राकृतकल्पतरु ६४१ अश्वघोष के नाटक ६१४ प्राकृतसर्वस्व भास के नाटक सिद्धहेमशब्दानुशासन मृच्छकटिक ६१६ | प्राकृतशब्दानुशासन ६४४ कालिदास के नाटक प्राकृतरूपावतार ६४५ श्रीहर्ष के नाटक षड्भाषाचन्द्रिका भवभूति के नाटक ६२४ प्राकृतमणिदीप ६४७ मुद्राराक्षस प्राकृतानन्द ६४८ वेणीसंहार प्राकृत के अन्य व्याकरण ललितविग्रहराज (ख) छन्दो ग्रन्थ ६५०-६५४ अद्भुतदर्पण वृत्तजातिसमुच्चय लीलावती कविदर्पण ६५१ प्राकृत में सट्टक ६२७-६३५ गाहालक्षण कर्पूरमंजरी ६२८ छन्दकोश विलासवती ६३० छन्दोलक्षण (जिनप्रभीय टीका चन्दलेहा 0 ... के अन्तर्गत) आनन्दसुन्दरी छंदःकंदली सिंगारमंजरी छ ६३३ प्राकृतपैंगल रंभामंजरी स्वयंभूछन्द दसवां अध्याय (ग) कोश प्राकृत व्याकरण; छन्दकोष; तथा| पाइयलच्छी नाममाला अलंकार-ग्रन्थों में प्राकृत | (घ) अलंकारशास्त्र के ग्रन्थों .. (ईसवी सन की छठी शताब्दी में प्राकृत ६५५-६६६ से १८वीं शताब्दी तक) काव्यादर्श ६५६ ६३६-६६६ | काव्यालंकार ६५७ (क) प्राकृतव्याकरण ६३६-६५० | ध्वन्यालोक ६५८ प्राकृतप्रकाश ६३७ दशरूपक प्राकृतलक्षण ६३९ सरस्वतीकंठाभरण प्राकृतकामधेनु अलंकारसर्वस्व संक्षिप्तसार काव्यप्रकाश ६६२ प्राकृतानुशासन ६४० | काव्यानुशासन ६३२ ६५९ ६६३
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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