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________________ विषय-सूची . ४४ - ur यापी ६ पहला अध्याय गमों का काल भाषाओं का वर्गीकरण ३-३२ द्वादशांग ४४-१०४ भारतीय आर्यभाषायें ४-१० आयारंग सूयगडंग मध्ययुगीन भारतीय आर्यभाषायें ४ ठाणांग प्राकृत और संस्कृत - ५ समवायांग प्राकृत और अपभ्रंश प्राकृत भाषायें १०-१२ वियाहपण्णत्ति नायाधम्मकहाओ प्राकृत और महाराष्ट्री उवासगदसाओ प्राकृत भाषाओं के प्रकार १४-३२ अन्तगडदसाओ पालि और अशोक की धर्मलिपियां १४ अणुत्तरोववाइयदसाओ भारतेतर प्राकृत पण्हवागरणाई अर्धमागधी विवागसुय शौरसेनी दिठिवाय महाराष्ट्री द्वादश उपांग १०४-२२ पैशाची उववाइय १०४ मागधी रायपसेणइय १०७ जीवांजीवाभिगम दूसरा अध्याय पन्नवणा जैन आगम-साहित्य (ईसवी सन् सरियपन्नत्ति ११४ के पूर्व ५वीं शताब्दी से | जम्बुद्दीवपन्नत्ति ११५ ईसवी सन् की ५वीं शताब्दी | चन्दपन्नत्ति ११७ तक) ३३-१६२ निरयावलिया अथवा कप्पिया। ११८ जैन आगम कप्पवडंसिया तीन वाचनायें पुफिया १२१ आगमों की भाषा पुप्फचूला १२२ आगों का महत्त्व | वण्हिदसा १२२ . १२१
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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