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________________ प्राकृत साहित्य का इतिहास प्रश्न करने पर महावीर ने उसके पूर्वभव का वर्णन किया । हस्तिनापुर में भीम नाम का एक कूटग्राह (पशुओं का चोर) था। उसके उत्पला नाम की भार्या थी । उत्पला गर्भवती हुई और उसे गाय, बैल आदि का मांस भक्षण करने का दोहद हुआ। उसने गोत्रास नामक पुत्र को जन्म दिया। यही गोत्रास वाणियगाम में विजयमित्र के घर उज्झिय नाम का पुत्र हुआ | उभिय जब बड़ा हुआ तो उसके माता-पिता मर गये और नगर-रक्षकों ने उसे घर से निकाल कर उसका घर दूसरों को दे दिया। ऐसी हालत में वह धूतगृह, वेश्यागृह और पानागारों (मद्यगृहों) में भटकता हुआ समय यापन करने लगा | कामज्झया नाम की वेश्या के घर वह आने जाने लगा। यह वेश्या राजा को भी प्रिय थी। एक दिन उझिय वेश्या के घर पकड़ा गया और राजपुरुपों ने उसे प्राणदण्ड दे दिया। तीसरे अध्ययन में अभग्गसेण की कथा है। पुरिमताल ( आधुनिक पुरुलिया, दक्षिण विहार ) में शालाटवी चोरपल्ली में विजय नाम का एक चोर-सेनापति रहता था | उसकी खन्दसिरी नाम की स्त्री ने अभग्गसेण को जन्म दिया। पूर्वभव में वह निन्नय नाम का एक अंडों का व्यापारी था । वह कबूतर, मुर्गी, मोरनी आदि के अंडों को आग पर तलता, भूनता और उन्हें बेच कर अपनी आजीविका चलाता | कालक्रम से विजय चोर के मर जाने पर अभग्गसेण को सेनापति के पद पर बैठाया गया। आभग्गसेण पुरिमताल और उसके आसपास गाँवों को लूट-खसोट कर निर्वाह करने लगा | नगर के राजा ने उसे पकड़ने की बहुत कोशिश की मगर अभग्गसेण हाथ न आया | एक बार राजा ने अपने नगर में कोई उत्सव मनाया। इस अवसर पर उसने अभग्गसेण को भी निमंत्रण दिया और धोखे से पकड़कर उसे मार डाला। चौथे अध्याय में सगड की कथा है। सगड साहंजणी के सुभद्र नामक सार्थवाह का पुत्र था। पहले भव में वह छणिय
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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