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________________ (ङ) रत्न परीक्षा विषयक ग्रन्थ (१) पाहन परीक्षा । जान कवि । सं १६९१ । आदि करता सुमरण कीजिये, निश वासर यह तस्थु । निस्तारण तारण जगत, पोषण भरण समत्थु ।। नबी महमद मुसथकार, चाहेत जिहा सीसू । ताकी चाहत आस सव, धर्मी पुनि पापीसू ॥ पाहन की परिख्या कहूँ, जैसे ग्रन्थ बखान । को मुहरो किन काम को, प्रगट कहत कवि जांन । हिन्दी तुरको मति मथो, कथो खंड बखानि । कहत जान जानत नहीं, सोउ लहत सुजानि ।। अंत रखत कपूर जु अपने पास, कवल बात दुख देत न तास । अन्द नारियर कोयउ आदि, तिनको उड़ि लागत है ताहि । पाहन परिख्या भाखि जान, जेसी विधि ग्रन्थनि परमानि । लेखनकाल–१९ वीं शताब्दी । प्रति-(१) दानसागर भंडार । (२) गुलाब कुमारी लायब्रेरी, कलकत्ता । गुटका नं० ३९ (२) पाहन परिक्षा ( संग वर्णन) आदि दाहा किसन देव गुरु ध्यान कर, शिव सुत गौरि मनाय । संग जाति धनन करुं, पढ़त ज्ञोग होय ताय ॥ ॥
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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