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________________ [ १५६ ] वेंक्टेश्वर प्रेस बम्बई से प्रकाशित देखा था । कवि मेघ का रचित मेघविनोद जो कि वैद्यक का बहुत ही उपयोगी ग्रन्थ है गुरुमुखी लिपि में प्रकाशित हुआ था। अभी लाहौर से संभवतः इसका हिन्दी गद्यानुवाद प्रकाशित हुआ है । इस ग्रन्थ की रचना सं० १८३५ फाल्गुन सुदि १३ फगवा नगर में हुई थी। आपका तीसरा ग्रन्थ "दान शील . सप भाव" (सं० १८१७ ) पंजाब भंडार में उपलब्ध है। मिश्रबन्धुविनोद के पृ० ९९७ में आपके मेघविनोद ग्रन्थ का उल्लेख है पर वहाँ इन्हें अज्ञातकालिक प्रकरण में रखा गया है । जबकि ग्रन्थ में सं० १८३५ पाया जाता है। (६८) रघुनाथ (५)-ये विष्णुदत्त के पुत्र थे। प्रदीपिका नाम-माला ग्रन्थ के अतिरिक्त आपका विशेष वृत्तान्त ज्ञात नहीं है। (६९) रत्नशेखर (५७)-ये अंचल गच्छीय अमरसागरसूरि के आज्ञानुवर्ती थे । सं० १७६१ के मिगसर सुदि ५ गुरुवार को सूरत के श्रीवंशीय भीमशाही के पुत्र शंकरदास की प्रार्थना से इन्होंने रित्नव्यवहारसारण ग्रन्थ बनाया। (७०) रसपुंज (११)-आपने सं० १८७१ की चैत्र वदी ५ गुरुवार को "प्रस्तार प्रभाकर" ग्रन्थ बनाया । (७१) रामचन्द्र ( ४४-५१-१२४ )-आप खरतरगच्छीय जिनसिहसूरि शिष्य पद्मकीर्ति शिष्य पद्मरंग के शिष्य थे । आपके रामविनोद (सं० १७२० मिगसर सुदि १३ बुधवार सकी नगर ) ग्रन्थ की प्रति पहले भी मिल चुकी है और ये लखनऊ से छप भी चुका है। आपके वैद्यविनोद (सं० १७२६ वै० सु० १५ मरोट) एवं सामुद्रिक भाषा (सं० १७२२ माघ वदि ६ भेहरा) का विवरण इस ग्रन्थ में प्रकाशित है । इनके अतिरिक्त आपकी निम्नोक्त रचनाएँ ज्ञात हुई हैं। (१) दश पचक्खाण स्तवन, सं० १७२१ पौष सुदी १० (२) मूलदेव चौपाई, सं० १७११ फागण, नवहर (३) समेदशिखर स्तवन, सं० १७५० (४) बीकानेर आदिनाथस्तवन, सं० १७३० जेठ सुदी १३ मिश्रबन्धुविनोद के पृ० ४६६ में उल्लखित रामचन्द्र ये ही हैं पर साकी बनारस वाले एवं ग्रन्थ का नाम राय विनोद और गुरु का नाम पध्मराग छपा है, वह अशुद्ध है वास्तव में सकीनगर सिन्ध प्रान्त में है, ये यति थे अतः सर्वत्र परिभ्रमण करते रहते थे-किसी एक जगह के निवासी न थे । ग्रन्थ का नाम रामविनोद और गुरु का नाम पद्मरंग है । मिश्रवन्धुविनोद में आपके अन्य एक ग्रन्थ जम्बू चौपाई का भी उल्लेख है।
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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