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________________ । १५३ (५१) बगसीराम लालस (१९) आपने सं० १९१३ आश्विन शुक्ला १५ को बीकानेर के महाराजा सरदारसिह (काव्य में नाम सादूल पाता है पर वह अशुद्ध प्रतीत होता है) की छत्र छाया में “कान्य-प्रबन्ध" ग्रन्थ बनाया। (५२) बद्रीदास (७)-इनकी रचित मानमंजरी नाममाला की प्रति सं० १७२५ की लिखित प्राप्त है अतः इनका समय इसके पूर्ववर्ती ही है। (५३) भगतदास (८६)-इन्होंने सम्राट अकबर के समय में अकबरपुर मे "बैताल पचीसी" बनाई । ये राघवदास के पुत्र थे। (५४) भक्तिविजय (११०-११३)-आपने सं० १८६६ कार्तिक सुदि १५ को भावनगर वर्णन गजल और मेदिनीपुर (मेड़ता) महिमा छंद विजय जिनेन्द्र सूरि' (तपागच्छीय) के समय में बनाया । आपके शिष्य मनरूप का परिचय आगे दिया जायगा। (५५) भीखजन (६)-श्री गोपाल दिनमणि रचित 'फतहपुर परिचय' के पृष्ठ १५१ मे इन्हें दादु शिष्य संतदास का शिष्य बतलाया है । ये जाति के प्राचार्य ब्राह्मण थे और इनके पिता का नाम देवी सहाय था । सन्यस्त होकर ये भजन स्मरण 0 एवं अध्ययन करने लगे। इन्होने भारतीय नाममाला सं० १६८५ आश्विन शुक्ला १५ शुक्रवार फतहपुर (शासक दौलतखां व उनके पुत्र ताहर खॉन के समय मे ) में बनाई थी। इनकी रचित अन्य रचना 'भीख बावनी" है । आपके लिखे हुए रसकोष (कवि जान कृत) की प्रति अनूप संस्कृत लाइब्रेरी मे है जो सं० १६८४ जेठ वदी ७ फतहपुर मे लिखी गयी है। मिश्रबन्धुविनोद के पृ० ९९३ मे आपकी बावनी का उल्लेख है पर उसका परिमाण ५०० श्लोक का बतलाना सही नही है। वहाँ इन्हे अज्ञात कालिक प्रकरण मे रखा गया है, पर भारतीय नाममाला की प्रति से आपका समय सं० १६८५ के लगभग निश्चित होता है। (५६ ) भूधर मिश्र (६६)-ये शाकद्धीपी मिश्र भार्गवराम के पुत्र थे। सं० १७३९ के माघ वदी ९ को दक्षिणगढ़ नादेरी मे "रागमंजरी" ग्रन्थ बनाना प्रारंभ किया । प्रन्थ के अन्त में सं० १७४० का निर्देश है और यह भी लिखा है कि आजमशाह के प्रयाण के समय कवि ने सैन्य के साथ दन्तिन ग्राम देखा । कवि ने अपना निवासस्थान सूबा बिहार, गढ़ मुंगेर लिखा है । १ दे. जैन गुर्जर कविओ भा० २ पृ० ७३०
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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