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________________ परिशिष्ट १. [ग्रन्थकार-परिचय ] (१) अभयराम सनाढय (१६) — जैसा कि आपने 'अनूप शृङ्गार' ग्रंथ में उल्लेख किया है आप भारद्वाज कुल, सनाढ्य जाति, करैया गोत्रीय केशवदास के पुत्र एवं रणथंभोर के समीपवर्ती वैहरन गाँव के निवासी थे। बीकानेर नरेश अनूपसिहजी आप पर बड़े प्रसन्न थे और 'कविराज' नामसे संबोधित किया करते थे । महाराजा अनूपसिहजी की आज्ञानुसार ही आपने सं० १७५४ के अगहन शुक्ला रविवार को 'अनूप शृङ्गार' ग्रन्थ की रचना की। (२) आनन्दराम कायस्थ भटनागर (१४)-आप सुप्रसिद्ध कवि काशीवासी 'तुलसीदासजी के शिष्य थे। आपके रचित "वचन-विनोद" की प्रति सं० १६७९ की लिखित होने से उसका निर्माण इससे पहले का ही निश्चित होता है। प्रतिलेखक ने आपका विशेषण "हिसारी" लिखा है अतः इनका मूल निवासस्थान हिसार ज्ञात होता है। मिश्रबन्धु विनोद पृ. ३४७ में कोकसार या कोकमंजरी के कर्ता को "आनन्द कायस्थ, कोट हिसार के' लिखा है। इस ग्रन्थ की प्रति अनूप संस्कृत लाइब्रेरी में सं० १६८२ लिखित उपलब्ध है । समय निवासस्थान और नाम पर विचार करते हुए कोकसार-रचयिता आनन्द वचन-विनोद के आनन्दराम कायस्थ ही प्रतीत होते हैं। (३) उदयचंद ( १५, १०९)-ये खरतरगच्छीय जैन यति या मथेन थे। महाराजा अनूपसिहजी से आपका अच्छा सम्बन्ध था। उन्हीं के लिये सं० १७२८ के आश्विन शुक्ला १० कुजवार को इन्होने बीकानेर मे 'अनूपरसाल' ग्रन्थ बनाया । आपका पांडित्य दर्पण' नामक संस्कृत ग्रन्थ (सं० १७३४ के सावन सुदी में) पूर्वोक्त महाराजा की आज्ञा से रचित उपलब्ध है जिसकी आवश्यक जानकारी Adyar Library Bulletin मे पांडित्य दर्पण ऑफ श्वेताम्बर उदयचन्द्र नामक लेख मे प्रकाशित है। महाराजा सुजानसिंहजी के समय (सं० १७६५ चैत्र) में आपने 'बीकानेर गजल' बनायी। . . (४) उदयराज (३५)-आप के रचित 'वैद्यविरहिणी प्रबन्ध' मे कविपरिचय एवं ग्रंन्थरचना-काल का कुछ भी निर्देश नहीं है, पर विशेष संभव ये उदय. * पृष्ठाक
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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