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________________ (झ) ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ (१) अमर वतीसी । पद्य ३९ । हरीदास । सं० १७०१ श्रासू सुदि १५ । आदिप्रथम मनाइ देवी सारदा की सैव करूं, दूसरै गणेस देव पाइ नाइ सीसजू । हरीदास मान कविराइ फै पासाइ बंधि, अखिर उकति जैसी वदतु कवीसजू । साहि दरबारि महाराजा गजसाहि तने, कीयौ गज गाहु कमजन के ईसजू । ताको जस जोरि कछु मेरी मति सारू कहुं, अमर बत्तीसी के सवईया बतीसजू । ।। अंत सत्र से इकोतरा, आसू पूरन मासि । सखी अखी सरसती, कथा कवि हरदासी । ३७ । अमर बत्तीसी अमर की, कही सुकवि हरदास ।। कूरिन को न सुहाइ है, सूरनि के मन हास । ३८ । च्यारी ढहथ कवित इक, सवईये प्रथम वत्तीस । अमर बत्तीसी के कहे, कवि रूपक सँतीस । ३९ । इति श्री कधि हरदास विरचिते अमर बत्तीसी संपूर्ण । लेखन-काल-रवत् १७०४ वर्षे फागुण वदि ५ दिने लिखित पं० मानहर्षमुनिना दहीरवास मध्ये। प्रति-पत्र २ । पंक्ति १: । अक्षर ६६ । साईज १० ४५। (अभय जैन ग्रन्थालय) (२) कवीन्द्र चन्द्रिका । सुखदेव आदि अनेक कवि । आदि श्री गनपति गुरु सारदा, तीम्यौं मानि मनाइ । मनसा वाचा करमणा, लिखौं कवित्त वनाइ ॥ १ ॥
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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