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________________ [ ८८ ] तिण दिवस कथा तीजै पहुर प्रीत जुगत पूरण करी बात विक्रमादीत की, विध विध कीरत बिस्तरी ।। १५९॥ प्रति-गुटकाकार ( राव गोपालसिहजी वैद के संग्रह में ) (२१) श्रीमाल रास । सं० १९२४ काती वदि १३ भृगु । भादि ॐ ह्रीं नमः सिद्धेभ्यः । अथ श्रीपाल रासो लिख्यते । श्री जिन गुरु परनाम करि हिय थापि जिन वान सिरी पाल मैना तनौं कछुयक करौ वखान ॥ १ ॥ जंवू भारत खेत नगर चंपापुर माहि, नृप भरदमन कुमार नाम श्रीपाल कहाहि । अति उदार अति सूर कोट वलभर भुज सजे, बहु गुन कला निवास देन रिपु भय गहि भज्जे । अंत वेद नयन निधि चंद राय विक्रम संवत्सर कार्तिक पक्ष असेत त्रयोदश भृगु वासर वर । उत्तरा फाल्गुण नखत अर्क तुल लग्न वृछी को। मध्य समापति कियौ पढी पढावी सुनो नित भावौ वारंवार नर सुर के सुख भोग के छिप होउ भवपार ॥ २९ ॥ इति श्रीपाल रासौ समाप्तं । शुभ संमतसर मिती मार्गशिर्ष वदि १२ । लेखन-संवत १९२५ शुभवंत । लिख्यतं पडतं कालीचरन ब्राह्मन कान (कुब्ज) जैनी नैकोलमध्ये मोहल्ला छिपैटी लिखाइ भरपाइ लिखवाई लाला गोकलचंद नै हाथरस के वासी नै पठनार्थे शुभ भवतु कल्याण मस्तु । प्रति-गुटकाकार । पत्र ४७ । पंक्ति ७ । अक्षर २१ । साईज ७IX४।। (अभय जैन ग्रन्थालय) (२२) सनि कथा । पद्य २७७ । गणपति । सं० १८२६ वसंत पंचमी बुध वागौर । आदि , अथ सनि चरित्र लिख्यते । दूहा-- श्री वृन्दावन चंद को ध्यान गणपति धार । पीछे श्री सनिदेव की कहिहु कथा विस्तार ॥ १ ॥ बल्लभ सुत वीठल विरुद्ध करे वर्णन नो कोय । तिह गणपति गुण मथन ते नवग्रह सम्मुख होय ॥
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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