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________________ [ 13 जहा तक हेमचन्द्र के जन्म का प्रश्न है, प्रत्येक ग्रन्थ मे तिथिया लगभग समान ही हैं । दीक्षा के सम्बन्ध मे दी गयी तिथियो मे मतभेद है । जैनशास्त्रो मे यह निर्देश है कि बिना 8 वर्ष की अवस्था पूर्ण किये कोई भी जैन धर्म मे दीक्षित नही हो सकता। प्रभावकचरित, पुरातनप्रवन्ध सग्रह तथा प्रबन्ध कोश के अनुसार दीक्षा के समय हेमचन्द्र लगभग 8 वर्ष के थे। परन्तु कुमारपाल प्रतिबोध के अनुसार इनकी दीक्षा वि स 1154 (1098) ' में हुई। यह तिथि ठीक भी लगती है । गुरु देवचन्द्र सूरि का धन्धू का आगमन वि स 1150 (1194 ई ) मे हुआ था । अव मे लेकर हेमचन्द्र के पिता से आजा प्राप्त करने के बीच कुछ समय अवश्य लगा होगा। प्रभावकचरित के अनुसार घर से निकलने के वाद हेमचन्द्र का पालन पोषण खम्भात के एक अधिकारी उदयन के यहा हुआ था। इसी उदयन ने हेमचन्द्र के पिता को तीन लाख रुपये देकर खुश भी करना चाहा था। हेमचन्द्र के पिता के रुपया न स्वीकार करने तथा पुत्र की दीक्षा के लिए आज्ञा दे देने की घटना वि. स 1154 (सन् 1098) मे हुई थी । अत हेमचन्द्र का यही दीक्षा काल प्रामाणिक है । जहा तक 'सूरिपद' प्राप्त करने का प्रश्न है, सभी ग्रन्थ एक मत हैं । प्रभावक चरित मे यह तिथि वि. स 1166 (सन् 1 110 दी गयी है यही तिथि कुमारपाल-प्रबन्ध की भी है। इस प्रकार आचार्य हेमचन्द्र ने 8 वर्ष की अवस्था मे जैन धर्म की दीक्षा ली और 21 वर्ष की अवस्था मे 'सूरिपद' प्राप्त किया। विद्याध्ययन और व्यक्तित्व निर्माण आचार्य हेमचन्द्र के जीवन से सम्बन्धित प्रमुख घटनामो की तिथियो के अतिरिक्त उनके व्यक्तित्व निर्माण और शिक्षा दीक्षा सम्बन्धी बातो का विवरण भी विभिन्न ग्रन्थो मे प्राप्त हो जाता है । कुमारपाल प्रतिबोध के अनुसार गुरुदेवचन्द्रसूरि ने बालक चड् गदेव के मामा 'नेमि' से कहा कि दीक्षा प्राप्त करने के बाद वालक बहुत थोडे ही समय मे शास्त्रो के तथ्य से अवगत हो जायेगा । हुप्रा भी कुछ इसी प्रकार । चड् गदेव ने बहुत शीघ्र ही सभी विद्यामो के समुद्र को पार कर लिया। प्राचार्य-पद प्राप्त करने के बाद वे विभिन्न प्रान्तो मे घूमते रहे परन्तु बाद मे वे गुजरात से कभी बाहर नही गये । 'हेमचन्द्र के विद्याध्ययन के बारे मे केवल इतना ही उल्लेख कुमारपाल प्रतिवोध मे मिलता है। अपने विद्याध्ययन का सारा श्रेय हेमचन्द अपने गुरु देवचन्द्र सूरि को देते 1. कु प्र बो पृ. 12 2. वही, पृ 13
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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