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________________ हस्तरेखा-अध्ययन रेखाशास्त्री श्री प्रतापसिंह चौहान महामाननीय प्राचार्यश्री तुलसी का हाथ कुछ चमसाकार मिश्रित समकोण प्राकार का है । समकोण हाथ वाला दूरदर्शी, प्रादर्शवादी और शासक होता है । चमसाकार मिश्रित होने की अवस्था में प्रादर्शवादी होने के साथ-साथ व्यक्ति कान्तिकारी, नई धारणामों और प्रवृत्तियों का संस्थापक होता है। प्राचार्यश्री के हाथ में बुध की अंगुलि टेढ़ी है और उसका नाखून छोटा है। यह वक्तृत्व शक्ति और परख शक्ति का द्योतक है। सूर्य रेखा जीवन रेखा से प्रारम्भ हुई है। जिससे आप प्रसिद्ध और प्रतिभा के धनी होंगे और जन-जीवन का कल्याण करते हुए आदरणीयता और ख्याति प्राप्त करते रहेंगे। जीवन रेखा को मंगल के स्थान से पाने वाली रेखाएं काटती हुई मस्तिष्क रेखा तक पहुंच रही है, इसलिए कभीकभी अपने ही व्यक्तियों में मानसिक खिन्नता प्राप्त होती रहेगी। स्व-धर्मावलम्बी व इतर-धर्मावलम्बियों से विरोध उपस्थित होता रहेगा। दाहिने हाथ में अपूर्ण मंगल रेग्वा होने से व्यवहार कुछ कठोर रहेगा, किन्तु विरोधियों के प्रति सहिष्णुता रहेगी। विरोधी कालान्तर से नतमस्तक होते रहेंगे । अनुभव सिद्ध बात है, मंगल रेखा विरोधियों पर विजय दिलाती है, किन्तु समकोण और चमसाकार मिश्रित हाथ होने की वजह से हृदय में शत्रुता के भाव शत्रुओं के प्रति भी नहीं रहेंगे। हृदय रेखा बृहस्पति की उँगली को छू रही है, इसलिए प्रतिभा व जन-कल्याण की भावना उत्तरोत्तर बढ़ती रहेगी; अादर्शवादी चरित्र रहेगा। दोनों हाथों में छोटी-छोटी रेखाएं हैं, इसलिए मानसिक चिन्ताएं अधिक रहेगी। बाएं हाथ में सूर्य, शनि और बहस्पति के स्थान पर भाग्य रेखा जा रही है। यह उद्यमशील व ख्यातिशील होने की सूचक है। यही रेखा संघ-संचालक और अनुसंधान कर्ता होने का भी संकेत करती है। प्रारम्भ में अन्तरंग विरोधों का निश्चित ही मुकाबला करना पड़ेगा। वृद्धावस्था में पूर्ण शान्ति का अनुभव करेंगे। चन्द्र स्थान पर रेखाएं गहरी होकर शनि स्थान की ओर भुकती हैं। यात्राएं विशेष होंगी। चन्द्र विशेष यात्रा का भी कारण होगा। अंगूठे के नीचे से मंगल स्थान मे गहरी रेखा टूटती हुई मंगल नक पाई है। पदयात्रा जीवन-भर होती रहेगी। मस्तिष्क रेखा शनि के नीचे झुकी हुई है। साथ-ही-साथ शनि के पर्वत पर छोटी रेखाएं अधिक हैं। ये वायु विकार की सूचक हैं। सूर्य के नीचे हृदय रेखा में बड़ा द्वीप है, इसलिए एक माँख विशेष निबंल होगी। जीवन रेखा दोनों हाथों में विशेष घुमावदार है और कटी हुई है। संघर्षमय जीवन और लक्ष्य सिद्धि की बाएं हाथ में मस्तिष्क रेखा मंगल के पहाड़ पर गई है और दाएं हाथ में सूर्य के पहाड़ के नीचे पूर्ण हुई है। इससे विषय को समझाने की सूक्ष्म शक्ति और प्रत्युत्पन्नमति मिली है। सूर्य रेखा सूर्य के स्थान से गहरी होकर नीचे की ओर चली है । वक्षस्थल में यदाकदा पीड़ा करेगी।
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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