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________________ तुमने क्या नहीं किया ? अपनी विशाल विचारधारा द्वारा इस धर्म-परायण भारत में अनेकों साम्प्रदायिक भेद मिटाये। प्रपने असीम आत्म बल के प्रयोग से इस स्वतन्त्र राष्ट्र की जनता का हृदय परिवर्तित कर जाति-पांति व ऊँचनीच के बन्धन तोड़े। श्री मोहनलाल कठौतिया अपने अद्वितीय व्यक्तित्व की प्रभा से सामाजिक अन्ध-विश्वासों व कुरूढ़ियों की जड़ें उखाड़ीं । अपनी अनवरत पद यात्रा द्वारा भारत के गिरते हुए जनमानस में नैतिक और प्राध्यात्मिक चेतना जागृत की। अपने गुरुषों के अटल अनुगामी रहते हुए मान व अपमान पर समदृष्टि रखकर संघर्षो का सफल सामना किया; विरोध को विनोद मानकर उसे श्रहिंसा से जीता । सच्चे धर्माचार्य के रूप में तथाकथित धर्म के प्रति फैलती हुई ग्लानि को मिटा, जन-जन को सत्य और अहिंसा का सच्चा मार्ग दिखाया, अनेकों अभिमानी व विलासी जीवन बदले । बनाया । अपने स्वाभाविक वात्सल्यपूर्ण हृदयोद्गारों से संसार को विश्व मंत्री का पाठ पढ़ाया। तेरापंथ के चलते-फिरते आध्यात्मिक विश्वविद्यालय को विस्तृत बनाकर ज्ञान-वृद्धि का सर्वोनम साधन मानव कल्याण के लिए तुमने क्या नहीं किया ? अहिंसा व प्रेम का व्यवहार रा० सा० गुरुप्रसाद कपूर हमारे देश की धार्मिक व सांस्कृतिक परम्पराएं विश्व में सब से प्राचीन है। समय के साथ-साथ अनेक उतारचढ़ाव साये और भारतवर्ष पर भी उनका प्रभाव पड़ा। परन्तु फिर भी हमारा मूल धर्म और हमारी संस्कृति इन तूफानों को सहन करती हुई आगे बढ़ती गई और समय-समय पर हमारे समाज में ऐसे संत, महात्मा, ऋषि श्राते रहे, जिन्होंने हमें प्रेरणा दी और भटकने से बचाया। जब कभी भी हमारे देश का नैतिक पतन हुआ है, अथवा धर्म की ग्लानि हुई है; तब-तब ईश्वर की प्रेरणा से धाचार्य तुलसी जैसे महापुरुष और संतों ने जन्म लेकर हमें मार्ग दिखाया है माज हमारे देश की जो हालत है, समाज में जो अनैतिकता, व्यभिचार, भ्रष्टाचार का बोलबाला हो रहा है, वह हमें कहाँ ले जायेगा और हमारा जिस कदर नैतिक पतन हो रहा है, इसका क्या परिणाम होगा, इसकी कल्पना भी भयावह है। ऐसे समय में प्राचार्यश्री तुलसी ने देश के कोने-कोने में भ्रमण करके अपने उपदेश के द्वारा जो जन जागृति की है, वह हमारा सही मार्ग प्रदर्शन करती है। प्राचार्यजी ने जो रास्ता दिखाया है, उससे मानव जाति का कल्याण होगा, इसमें मुझे तनिक भी सन्देह नहीं है। मैं उनके महान् व्यक्तित्व धौर उपदेशों से प्रत्यन्त प्रभावित हुआ हूँ और मुझे भाषा है कि उनके उपदेशों के फलस्वरूप जनता सत्य, अहिंसा व प्रेम के व्यवहार को अधिकाधिक अपनायेगी तथा समाज का नैतिक स्तर ऊंचा उठगा। मैं प्राचार्यजी के चरण कमलों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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