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________________ सूझ-बूझ और शक्ति के धनी पं. कृष्णचन्द्राचार्य अधिष्ठाता, भी पाश्वनाथ विद्याश्रम, हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी माचार्य तुलसी में सूझ-बूझ, शक्ति और सामर्थ्य कितना है, यह किसी से छिपा नहीं रहा । प्राज से पच्चीस वर्ष पहले साधु-शिक्षण का कार्य प्रारम्भ करना और बाद में अणुव्रत-अान्दोलन उठाना, उनकी समय को पहचानने की शक्ति तथा समाज को अपने विचारों के साँचे में ढालने के सामर्थ्य की परिचायक हैं। तेरापंथ सम्प्रदाय के दो सौ वर्षों के इतिहास में इनका अपना विशिष्ट स्थान है। इन्होंने एक ऐसे रूढ़िचुस्त सम्प्रदाय एवं समाज को समय की गति पहचानने की दृष्टि दी है, जो दूसरों के लिए सहज नहीं। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की दृष्टि से सर्वथा पिछड़े हुए अपने साधु-साध्वी संघ को युगानुरूप शिक्षित करने में इन्हें स्वयं कितना परिश्रम करना पड़ा, अध्यवसाय से काम लेना पड़ा, यह सब बड़ा कष्ट साध्य था। वर्षों पहले यदि वे अपने साधु-साध्वी संघ को शिक्षित करने में न जुटते तो बाद में अणुव्रत-अान्दोलन को भी नहीं उठा सकते थे और न युगानुरूप दूसरी प्रवृत्तियों को ही शुरू कर सकते थे। निःसन्देह उनका शिक्षित त्यागी संघ ही आज स्वयं उनको आगे बढ़ने में बल दे रहा है और प्रेरक बना हुआ है। प्राचार्य तुलसी की विलक्षण कर्तृत्व शक्ति पर दूसरे जैन सम्प्रदाय वाले भी चकित हैं। आचार्यश्री तुलसी की शक्ति और प्रभाव इन सबको देख-सुनकर अच्छे-अच्छे विचारशीलों के मन में अब ये भाव आने लगे हैं कि प्राचार्यश्री तुलसी कुछ और आगे बढ़ें, तो कितना अच्छा हो। वे अपने प्रभाव और कार्यशीलता का कुछ और विस्तार कर सकें, तो इससे समूचे जैन समाज को आगे लाने व बढ़ाने में विशेष सहायता मिल सकेगी। समग्र जैन समाज की क्रियाशीलता और संगठन भी बढ़ सकेंगे। जो चीज अभी केवल तेरापंथ सम्प्रदाय तक सीमित है, वह सारे जैन समाज में जा सकेगी। उनका यह भी विचार है कि प्राचार्य तुलसीजी जैस युगदर्शी और प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए अब यह काम विशेष दुरूह या दुःसाध्य नहीं है । प्रश्न है, विचारों को और भी उदात्त एवं विशाल बनाने का। प्राचार्य तुलसी सारे जैन समाज को एक मंच पर लाने का कोई विशिष्ट कार्यक्रम रख सकेंगे, तो उनकी क्रान्तिकारिता सूर्य के प्रकाश की तरह चमक उठेगी। अब हम उनसे एक यह अपेक्षा भी रख रहे हैं।
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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