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________________ संयम और सेवा का संगम प्राचार्यश्री तुलसीजी के महान कार्यों के प्रति श्रद्धाञ्जलि अर्पित करने का विचार योग्य ही है। संयम को सेवा-कार्य में जोड़ने का काम अपनी विशिष्ट पद्धति से उन्होंने चलाया, जिसका असर जीवन के अनेक क्षेत्रों में पड़ा है और पड़ेगा। संयम और सेवा के संगम से ही नव-समाज बनेगा। Alanka - "? अणुव्रत की कल्पना यह मेरा सौभाग्य है कि आचार्यश्री तुलसी को पास से देखने और उनसे बात करने तथा उनके भाषण सुनने का अवसर मुझे मिला है। दिल्ली में उनके कई अनुयायी मुनियों से मेरी भेंट हुआ करती थी। उनके चलाये अणुव्रत-पान्दोलन के पक्ष में कुछ सभाओं में भी मैंने अपना मत प्रकट किया था। अणुव्रत की कल्पना बहुत सुन्दर है और उसने बहुतों को व्रती बनाकर उनके जीवन की गति में अच्छी भावना का प्रवेश कराया है। देश में नैतिकता की गहरी कमी दिखाई पड़ती है। उसमें परिवर्तन करने के लिए अणुव्रत-आन्दोलन सहायक हो सकता है। प्राचार्य तुलसी अपनी कल्पना की पूर्ति में अधिकाधिक सफलता पायें यह मेरी अभिलाषा स्वाभाविक है। प्राचार्यश्री तुलसी अणुव्रत-आन्दोलन की सफलता के लिए हम सबकी श्रद्धा और सहयोग के अधिकारी हैं। प्रोतामदास टण्डन .१०.१९६१
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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