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________________ अध्याय 1 अभिनन्दन गौत [ १३३ सफलताएं महत्वपूर्ण रही हैं। यह भी सर्वविदित है कि गांधीवाद पर जैन धर्म का कितना भारी प्रभाव पडा था। मैं आशा करता हूँ कि प्राचार्यश्री तुलसी उत्तम और व्यवहारिक नागरिकता का विकास करने का अपना पावन कार्य निरन्तर करते रहेंगे और सभी सत्य शोधकों के लिए समान मंच उपलब्ध करेंगे। मेरी कामना है कि वह लोगों को सही मार्ग बताएं और उनमें सरल और साहसी जीवन एवं सदाचार की नई चेतना उत्पन्न करके राष्ट्र का नैनिक कल्याण सिद्ध करने में यशस्वी हों । अभिनन्दन गीत हे ! युग स्रष्टा, युगद्रष्टा, युग के नूतन पंथ प्रवर्तक हे ! विश्व शान्ति के अग्रदूत, हे, नूतन विश्व-प्रदर्शक षट्शत करोड़ भयभीत हस्त भौन्तिक प्रवाह में पड़े पस्त तव अभय-पंथ लखते प्रशस्त कर रहे तुम्हारा वन्दन, हे, लोक- वन्द्य ! तव वन्दन तव कोटि-कोटि अभिनन्दन । तुम प्रति उदार, उन्नत, विशाल, जाज्वल्यमान शुभदायक युग के चिन्तन- मन्थन - दर्शन के तुम प्रकाण्ड विधायक उद्भव तुम से लख अणु- प्रकीर्ण हो रहा रुद्ध तिमिरावतीर्ण भर रहे पत्र सब जीर्ण-शीर्ण बन रहा इन्द्रवन मरुवन, हे लोक-दीप ! तव वन्दन तव कोटि-कोटि अभिनन्दन । भौतिक सुषुप्ति में लीन लोक नेत्रों के तुम उन्मेषक अध्यात्म प्रात के नवल सूर्य, अणुव्रत के तुम अन्वेषक तुमने उच्चारा दिव्य मन्त्र हर व्यक्ति धरा का है स्वतन्त्र है मैत्रि-भाव सुशस्त्र-अस्त्र है ताज्य आज रण-अर्चन, हे लोक देव तव अर्चन तव कोटि-कोटि अभिनन्दन । श्री मतवाला मंगल
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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