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________________ हिन्दी ग्रन्थरत्नाकर-सीरीज़ । हमने श्रीजैनग्रन्थरलाकरकी ओरसे हिन्दी साहित्यको उत्तमोत्तम प्रन्यरलोसे भूपित करनेके लिए उक्त ग्रन्थमाला निकालना शुरू की है। हिन्दीके नामी नामी विद्वानोंकी सम्मतिसे इसके लिए अन्य तैयार कराये जाते है । प्रत्येक अन्यकी छपाई, सफाई, कागज़, जिल्द आदि लासानी होती है । स्थायी ग्राहकोको सब अन्य पौनी कीमतमें दिये जाते है । जो ग्राहक होना चाहे उन्हें पहले आठ आना जमा कराकर नाम दर्ज करा लेना चाहिए । सिर्फ ५०० प्राहकों की जरूरत है। अब तक इसमें जितने अन्य निकले है, उन रायहीकी प्राय सव ही पत्रोंने एक स्वरसे प्रशंसा की है। हमारे जैनी भाइयोंको भी इसके ग्राहक बनकर अपने ज्ञानकी वृद्धि करनी चाहिए । नीचे लिए अन्य प्रकाशित हो चुके है १ स्वाधीनता। यह हिन्दी साहित्यका अनमोल रत्न, राजनैतिक सामाजिक और मानसिक स्वाधीनताका अचूक शिक्षक, उध स्वाधीन विचारोंका कोश, अकाव्य युक्तियोंका आकर और मनुष्य समाजके ऐहिक सुखोंका पथप्रदर्शक प्रन्य है। इसे सरस्वतीक धुरन्धर सम्पादक पं० महावीर प्रसादजी द्विवेदीने अंग्रेजीसे अनुवाद किया है। मूल्य दो रु०॥ २ जॉन स्टुअर्ट मिलका जीवन चरित । स्वाधीनताके मूल लेखक और अपनी लेखनीसे युरोपमें नया युग प्रवर्तित कर देनेवाले मिल साहबका बड़ा ही शिक्षाप्रद जीवन चरित है। इसे जैनहितैपीके सम्पादक नाथूराम प्रेमीने लिखा है । मू० चार आने. ३ प्रतिभा । मानव चरितको उदार और उन्नत बनानेवाला, आदर्श धर्मवार और कर्मवीर मनानेवाला हिन्दीमें अपने ढंगका यह पहला ही उपन्यास है । इसकी रचना वड़ी ही सुन्दर प्राकृतिक और भावपूर्ण है । मूल्य कपड़ेकी जिल्द १७, सादी )
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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