SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 347
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५. कैफियत तलवकी गई। समस्त शुद्धाम्नायी भाइयोंकी ओरसे मालवा प्रान्तिक सभाके पास एक पत्र भेजा गया है और उसमें इस वातकी कैफियत तलब की गई है कि मालवा प्रान्त शुद्धानायका केन्द्र है, तब उसकी सभाके सभाप. तिके पदपर सेठ हीराचन्द नेमिचन्दजी क्यों बैठाये गये? क्या सभाको यह मालूम नहीं है कि उक्त सेठजी बीसपंथी है और जैनसमाजमें "छापेका प्रचार करनेवाले प्रधान आचार्य है। यदि उन्हें सभापति ' बनाया भी था तो कमसे कम इन्दौरके उस पुराने कागजपर तो उनसे -दस्तखत करा लेना चाहिए था जिसमे छापेके ग्रन्थोंके घरमें न रखनेकी प्रतिज्ञायें लिखी है। देखें, सभा इस पत्रका क्या उत्तर देती . ६. एक और भट्टारक। सोजिनाकी भट्टारककी गद्दीपर पं० सुन्दरलालजी बहुत जल्दी बैठनेवाले है। बिना किसीकी- सम्मतिसे एक जैन स्त्री उन्हें शीघ्र ही भट्टारक बना देना चाहती है । 'दिगम्बरजैन' ने इसके विरुद्ध बहुत कुछ लिखा है और चाहा है कि लोग इस अन्यायको रोकें ।। बिना सबकी सम्मति लिए सुन्दरलाल जैसे महात्माओको गद्दीपर बिठा देना ठीक नहीं ! परन्तु मेरी समझमें उसका यह खयाल गलत है। लोग उसकी सुनते भी कहाँ है ? पिछले वर्ष मो.-- तीलालजीके विषयमें क्या थोडी उछल कूद मचाई थी? पर हुआ क्या? वे भट्टारक बन बैठे और लोग उनकी पूजा भी करने लगे जब तक गुजराती भाइयोंमे प्रबल गुरुभक्तिका अस्तित्व है,तब तक वे उसकी बाते क्यों मानने लगे हैं और यह भी तो सोचना चाहिए कि आजकल स्त्रियोका बल कितना बढ़ा हुआ है । जब एक स्त्रीने इसके
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy