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________________ २७० इस मौकेपर यहाँ तक सिर उठाया कि एक दिन सभाका काम बन्द रखना पड़ा, सभामंडप उखाडके फेंक देना पड़ा और अन्तम पुलिस तककी सहायता लेनी पड़ी, तब कहीं जाकर शान्ति हुई और सभाके अधिवेशन किये जा सके! पाठकोंको मालूम होगा कि श्रीयुक्त अण्णापा बाबाजी लहे एम. ए. महाराष्ट्रसभाके प्रधान म्तम्भ है । उक्त सभाने अब तक जो कुछ सफलता प्राप्त की है उसमें आपका हाथ सबसे अधिक रहा है। कोल्हापुर बोडिंगके इस समय माप सेक्रेटरी है । आप एक स्वाधीन प्रकृतिके मनुष्य है, इसलिए कुछ लोगोंकी ऑखोमें आप शुरूसे ही खटक रहे हैं। ये लोग नहीं चाहते कि लढे महाशय बोर्डिंगके सेक्रेटरी रहें। इसके लिए वे लगातार कई वर्षोंसे प्रयत्न कर रहे हैं, परन्तु सफलता नहीं होती। कई बार सभामें पेश करके भी उन्हें इस विषयमें निराश होना पड़ा है; क्योंकि सभाका बहुमत लहे महाशयके ही पक्षमें होता था। इससे वे बहुत ही चिढ़ गये थे और जैसे बने तैसे अपना मनोरथ सिद्ध कर. नेका मौका देख रहे थे। इसी समय सभाका वार्षिक अधिवेशन हुआ और उक्त मडलीने जिसमें कि पंडित कल्लापा भरमापा निटवे और श्रीयुत बापू अण्णा पाटील मुख्य हैं-लगभग २०० गुंडोंको एकत्र करके बोर्डिंगको अपने हस्तगत करनेका और लहे सा० को बोर्डिंगसे बलपूर्वक अलग करनेका प्रयत्न किया । जब ये लोग प्रत्यक्ष रूपसे वखेड़ा करनेके लिए तैयार हो गये, तब अधिवेशनके सभापति श्रीयुक्त जयकुमारजी चवरे, बी. ए., एल एल, बी, और दूसरे मुखियोंने इस झगडेको आपसमें ही मिटा डालनेका शक्तिभर प्रयत्न किया। कहा कि आप लोग सभामे यह प्रस्ताव पेश करें कि लहे सा० बोर्डिंगके सैकेटरीन रक्खे जावे और सभा इसका जो फैसला करे उसे सबको मानना
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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