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________________ २२४ जावे तो अच्छा हो । रामचरितसे क्या क्या शिक्षायें मिल सकती हैं और रामचरितमें क्या महत्व है यह कई लेखोमे समझाया गया है। हम आशा करते हैं कि हिन्दीप्रेमी इस पत्रका आदर करेंगे। १२. आरोग्यसिन्धु-सम्पादक, राधावल्लभ वैद्यराज और प्रकाशक पं० ब्रजवल्लभ मिश्र, अलीगढ । वार्पिक मूल्य ii) 1 यह खुशीकी बात है कि हिन्दीमें अब वैद्यकसम्बन्धी भी कई पत्र निकलने लगे है। इसके अब तक ६-७ अंक निकल चुके हैं। चौथा पाँचवाँ सयुक्त अक हमारे पास समालोचनाके लिए आया है। इसमें क्षयरोग, रसायन आपधियाने आयुवृद्धि, आयुर्वेदका ऐतिहासिक महत्त्व, वेदोमें औषधिप्रार्थना, आयुर्वेद में भूतविद्या आदि कई उपयोगी लेख हैं । जो लोग वैद्यकसम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं इस पत्रको उन्हे आश्रय देना चाहिए । पत्रकी भापामे कुछ सशोधनकी आवश्यकता है। १३. मनोरंजनका विशेष अङ्क-सम्पादक और प्रकाशक १० ईश्वरीप्रसाद शर्मा, आरा । मूल्य १)। यह बड़ी ही प्रसन्नताकी बात है कि हिन्दीका मासिक साहित्य दिनो दिन उन्नति कर रहा है। इस विषयमें वह मराठी और गुजरातीका भी नम्बर ले रहा है। इस समय हिन्दीमे कई अच्छे मासिक पत्र निकल रहे है । आराका मनोरंजन भी उनमेंसे एक है । इसने अब दूसरे वर्पमें पैर रक्खा है और बड़े उत्साहसे अपना यह विशेष अंक प्रकाशित किया है। इस अंकमें ६-७ चित्र और ३५ लेख तथा कविताये है | हिन्दीके नामी नामी लग्बको और कवियोकी रचनासे यह विभूपित है। कवरपेज कई रगोमे सचित्र छपा है। खर्च ग्लूत्र किया गया है। हिन्दी प्रेमियोंको हमे अपनाना चाहिए ।
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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