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________________ १९९ भ्रातृभाव, बन्धप्रेम और आत्मीयतासे किया जाता है, वही सफल और सर्वोपयोगी होता है। ४. किसी कार्यका यत्न करनेमें आत्मविश्वास और स्वार्धानभावको न भूल जाना चाहिए। यदि एक या दो प्रयत्न निष्फल हो जाये तो भी हताश न होना चाहिए। अपनी भूलोंकी ओर ध्यान देकर विचारपूर्वक बार बार यत्न करते रहना चाहिए। ___वाशिंगटनका यह विश्वास है कि योग्यता अथवा श्रेष्ठता किसी भी वर्ण, रंग और जातिके मनुष्यमें हो, वह छिप नहीं सकती। गुणोंकी परीक्षा और चाह हुए बिना नहीं रहती। अमेरिका निवासियोंने बुकर टी० वाशिंगटन जैसे सद्गुणी और परोपकारी कार्यकर्ताका उचित आदर करनेमें कोई बात उठा नहीं रक्खी । हारवार्ड-विश्वविद्यालयने आपको 'मास्टर आफ आर्ट्स' की सन्मानसूचक पदवी दी है। अमेरिकाके प्रेसीडेंटने आपकी सस्थामें पधारकर कहा था-" यह संस्था अनुकरणीय है। इसकी कीर्ति यहीं नहीं, किन्तु विदेशोंमें भी बढ़ रही है। इस संस्थाके विषयमें कुछ कहते समय मि० वाशिंगटनके उद्योग, साहस, प्रयत्न और बुद्धिसामर्थ्य के सम्बन्धमें कुछ कहे बिनी रहा नहीं जाता। आप उत्तम अध्यापक है, उत्तम वक्ता है और सच्चे परोपकारी हैं। इन्हीं सद्गुणोके कारण हम लोग आपका सम्मान करते हैं।" सोचनेकी बात है कि जिस आदमीका जन्म दासत्वमें हुआ, जिसको अपने पिता या और पूर्वजोंका कुछ भी हाल मालूम नहीं, जिसको अपनी बाल्यावस्थामें स्वयं मजदूरी करके पेट भरना पड़ा, वहीं इस समय अपने आत्मविश्वास और आत्मवलके आधारपर कितने ऊँचे पद पर पहुँच गया है। वाशिंगटनका जीवनचरित पढकर कहना
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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