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________________ दशाकी अच्छी तरह जॉच की और इसके बाद उसने एक टूटीसी झोपडीमें पाठशाला खोल दी। इस पाठशालामें वाशिंगटन ही अकेले शिक्षक थे। लडके और लड़कियाँ मिलकर सब ३० छात्र थे। वे सब व्याकरणके नियम और गणितके सिद्धान्त मुखाग्र जानते थे परन्तु उनका उपयोग करना न जानते थे। वे शारिरीकश्रम या मिहनतकरनेको नीच काम समझते थे। ऐसी अवस्थामें, पहले पहल वाशिंगटनको अपने नूतन तत्त्वोंके अनुसार शिक्षा देनेमें बहुत कठिनाइयाँ हुई। उसने निश्चय किया कि इस प्रान्तके निवासियोंको कृषिसम्बधिनी शिक्षा दी जानी चाहिए और एक या दो ऐसे भी व्यवसायोकी शिक्षा दी जानी चाहिए जिसके द्वारा लोग अपना उदरनिर्वाह अच्छी तरह कर सकें। उन्होंने ऐसी शिक्षा देनेका संकल्प किया जिससे विद्याथियोंके हृदयमें शारीरिक श्रम, व्यवसाय, मितव्यय और सुन्यवस्थाके विषयमें प्रेम उत्पन्न हो जाय, उनकी बुद्धि, नीति और धर्ममें सुधार हो जाय; और जब वे पाठशालासे निकलें तब अपने देशमे स्वतन्त्र रीतिसे उद्यम करके सुखप्राप्ति कर सकें तथा उत्तम नागरिक बन सकें। परन्तु ऐसी शिक्षा देनेके लिए वाशिंगटनके पास एक भी साधनकी अनुकूलता न थी। इतनेमे उन्हें मालूम हुआ कि टस्केजी गाँवके पास एक खेत बिकाऊ है । इसपर हैम्पटनके कोषाध्यक्षसे ७५० रुपया कर्ज लेकर उन्होंने वह जमीन मोल ले ली। उस खेतमें दो तीन पुरानी झोपड़ियाँ थीं। उन्हींमें वे अपने विद्यार्थियोंको पढाने लगे। पहले पहल विद्यार्थी किसी प्रकारका शारीरिक काम न करना चाहते थे; परन्तु जब उन्होंने अपने हितचिन्तक शिक्षक वाशिंगटनको हाथमे कुदाली फावडा लेकर काम करते देखा तब वे बड़े उत्साहसे काम करने लगे। ___ जमीन मोल लेनेके बाद इमारत बनाने के लिए धनकी आवश्यकता हुई। तब वे गॉव गॉवमें भ्रमण करके द्रव्य एकट्ठा करने लगे। इस
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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