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________________ : गई है। किसी किसी पत्र पर केवल एक ओर लेख है और किसी किसी पर दोनो ओर । कोई कोई लेख ऐसे भी हैं जो कई पत्रोंमें समाप्त हुए हैं। जब राजा अपनी प्रजामेसे किसी पुरुषको ग्राम इत्यादि दान देते थे तो यह बात इन ताम्रपत्रोंपर लिख कर उस व्यक्तिविशेषको दे दी जाती थी, अतएव यह ताम्रपत्र अधिकतर उन लोगोंके यहाँ मिले हैं जिनके पूर्वजोंको दान दिये गये थे। कहीं कहीं ये खेतो और दीवारोंमें भी गढ़े हुए मिले हैं जो कि बहुत काल व्यतीत होनेपर अपने अधिकारियोंके हाथसे निकल गये अथवा खो गये हैं। इन पत्रोंपर दानी राजाओंकी छापें अंकित हैं। ये छापें अलग भी मिली हैं। • सोने, चाँदीके पत्रों और मुद्राओंपर लेख बहुधा स्तूपोंमें ही मिले है। पीतलकी प्रतिमाओंपर बहुत लेख मिले हैं। सोने, चाँदी, इत्यादिके सिक्के भी बहुत मिले हैं जिनके लेख इतिहासके लिए अत्यंत उपयोगी हैं। जिला देहलीमें महरौनी प्राममें एक लोहेका स्तंभ है । इसकी ऊँचाई ९ गज है। इस पर एक छोटीसी कविता अंकित है जो महाराजा चंद्रगुप्त द्वितीयको समर्पित है। मिट्टी-बहुधा मिट्टीके घट और अन्य प्रकारके वरतन जिन पर स्याहीसे लिखे हुए या खुदे हुए लेख है, मिले हैं । पश्चिमोत्तर सरहद्दी प्रातमें मिले हुए कुछ बरतनोंके लेख यह सूचित करते हैं कि वे बौद्ध साधुओको दानमें अर्पण किये गये थे। मिट्टीके बने हुए और अग्निमे पकाये हुए बहुतसे चौरस टुकड़े मिले हैं जिन पर बौद्धोंके लेख और-चित्र अंकित हैं।
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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