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________________ सचमुच ही जैनधर्म यह एक बहुत ही अच्छा आश्रयस्थल है बहुत ही कीर्तिमय आश्रयस्थल है; परन्तु वह सुखचैन और मौज शौकको उत्तेजित करनेवाला स्थल नहीं है। जैनधर्ममें अगणित जीवोंको शान्ति मिली है; सचमुच ही उसमें महती शान्ति विद्यमान है परन्तु डरपोक और युद्धोंसे डरनेवाले लोग जिस शान्तिकी खोजमें रहते है वह शान्ति जैनधर्म नहीं दे सकता। जैनधर्ममें अगणित जीवोंको प्रकाश मिला है। सचमुच ही उसमें सम्पूर्ण प्रकाश समाया हुआ है; परन्तु वह ऐसा प्रकाश नहीं है जो अपने ग्राहकोंके लिए मार्ग साफ़ बना दे। वह ऐसा प्रकाश है कि जो सामने फैलेहुए घनघोर अन्धकारके आरपार जानेकी शक्ति देता है और स्वीकृत मार्गकी कठिनाइयोको स्पष्ट करके चतला देता है। और जैनधर्म ऐसा है यह बड़े भारी सौभाग्यका विषय है। * - - ऐतिहासिक लेखोंका परिचय। इस समय भारतवर्षके प्राचीन इतिहासके अन्वेषणके लिए शिलालेख इत्यादि ही मुख्य आधार है इस बात पर सर्व विद्वान् सहमत है। ये लेख केवल पर्वत-शिलाओं पर ही नहीं हैं, किन्तु अन्य कई ग्पदार्थोपर भी मिले हैं। ये लेख (१) किन किन पदार्थोपर हैं ? (२) किन भाषाओंमें हैं ? (३) इनमें क्या लिखा है और (४) इनका इतिहासमें इतना मान क्यों है ? इन प्रश्नोंके उत्तरको ऐतिहासिक अन्वेपणकी वर्णमाला कहें तो कुछ अत्युक्ति न होगी। संक्षेप्पमें इन प्रश्नोंके उत्तर ये है: - * जैनहितेच्छुमें प्रकाशित गुजराती लेखका अनुवाद।
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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