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________________ tetet 94 きな太ささささささささささささささささささささささささささささ रणरचना महान । जाके देखत सब पापहान ॥ जहँ तर अशोक शोभै उतंग । सब शोकतनो चूरै प्रसंग ॥ ११ ॥ सुर सुमनवृष्टि नमतें सुहात । मनु मन्मथ तज हथियार जात ॥ बानी जिन मुखसौं खिरत सार । मनुतवप्रकाशन मुकुर धार ॥ १२ ॥ जहँ चौंसठ चमर अमर दुरत । मनु सुजस मेघझरि लगिय तंत ॥ सिंहासन है जहँ कमलजुक्त। मनु शिवसरवरको कमलशुक्त ॥ १३॥ दु'दभि जित बाजत मधुर सार । मनु करमजीतको है नगार ॥ सिर छत्र फिरै त्रय श्वेतवर्ण । मनु रतन तीन त्रयताप हर्ण ॥ १४॥ तन प्रभातनों मंडल सुहात । भवि देखत निजभव सात सात मनुदपणा ति यह जगमगाय । भविजन भव मुख देखत सुआय ॥ १५॥ इत्यादि विभूति अनेक जान बाहिज दीसत महिमा महान ॥ ताको वरणत नहिं लहत पार । तौ अन्तरंगको कहै सार ॥ १६ ॥ अनअंत गुणनिजुत करि विहार। धरमोपदेश दे भव्य तार ॥ फिर जोगनिरोधि अधाति हानि । सम्मेदथकी लिय मुकतिथान ॥ १७ ॥ वृन्दावन बन्दत शीश नाय । तुम जानत हो मम उर जु भाय ॥ तातेका कहाँ सु यार वार । मनवांछित कारज सार सार ॥१८॥ .. छंद घत्तानंद। जय चंदजिनंदा आनंदकंदा, भवभयभंजन राजे है॥ रागादिकद्दा हरि सब फंदा, मुकतिमांहि थिति साजै हैं ॥१६॥ tetettetettetretetetretetet tetetstetietetettetettetet
SR No.010717
Book TitleVartaman Chovisi Pooja Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVrundavandas
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1985
Total Pages177
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size6 MB
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