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सुरमन्दिर ध्याय पुरन्दरने। मुनिसुव्रतनाथ हमें सरने ॥२॥
ॐ हीं वैशाखकृष्णदशम्यां जन्ममङ्गलप्राप्ताय श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय अर्ध नि०॥ तप दुद्धर श्रीधरने गहियो । वसयाखबदी दशमी कहियो॥ निरुपाधि समाधि सुध्यावत हैं। हम पूजत भक्ति बढ़ावत हैं ॥३॥ ___ॐ ही वैशाखकृष्णदशम्यां तपङ्गलप्राप्ताय श्रीमुनिसुवतजिनेन्द्राय अर्ध नि०॥ वरकेवलज्ञान उद्योत किया । नवमी वयसाखवदी सुखिया ॥ धनि मोहनिशाभनि मोखमगा। हम पूजि चहैं भवसिन्धु थगा। ___ॐ हीं वेशासकृष्णनवम्यां केवलज्ञानमङ्गलप्राप्ताय श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय अध्यं ॥नि०॥ वदि वारस्त फागुन मोच्छ गये। तिहुँ लोक शिरोमनि सिद्ध भये। सु अनंत गुनाकर विघ्न हरी । हम पूजत हैं मनमोद भरी॥ ____ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णद्वादश्यां मोक्षमङ्गलप्राप्ताय मुनिसुव्रतजिनेन्द्राय अर्घ नि० ॥
जयमाला। दोहा-मुनिगननायक मुक्तिपति, सूक्तव्रताकरयुक्त।
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