SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नमस्ते ॥ सप्तभड़के ईश नमस्ते । सातों नयकथनीश नमस्ते ॥८॥ अष्टकरममलदल्ल नमस्ते। अष्टजोगनिरशल्ल नमस्ते ॥ अष्म-धराधिराज नमस्ते। अष्ट-गुननि-सिरताज नमस्ते ॥६॥ जै नवकेवल-प्राप्त नमस्ते । नव पदार्थथिति आप्त नमस्ते ॥ दशों धरमधरतार नमस्ते । दशों चंधपरिहार नमस्ते ॥ १०॥ विघ्न-महीधर-विज्जु नमस्ते। जै उरधगति-रिज्जु नमस्ते॥ तनकनकंदुति पूर नमस्ते ।. इख्याकजगनसूर नमस्ते ॥ ११ ॥ धनु पचासतन उच्च नमस्ते। कृपासिन्धु गुन शुच्च नमस्ते ॥ सेही-अंक निशंक नमस्ते। चितचकोर मृगअंक नमस्ते ॥ १२॥ रागदोपमदटार नमस्ते। निजविचारदुखहार नमस्ते ॥ सुर-सुरेश-गन-वंद नमस्ते। 'वृन्द करो सुखकंद नमस्ते ॥१३॥ ___घत्तानंद छंद। जय जय जिनदेवं, सुरकृतसेवं, नितकृतचित हुल्लासधरं ॥ आपदउद्धार, समतागारं, वीतरागविज्ञान भरं ॥ १४॥ ॐ हीं श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्राय पूर्णार्धं निर्वपामीति स्वाहा ॥ ___ मदावलिप्त-कपोल तथा रोड़क छंद ( (मात्रा २४)। जो जन मनवचकायलाय, जिन जजै नेह धर । -.
SR No.010717
Book TitleVartaman Chovisi Pooja Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVrundavandas
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1985
Total Pages177
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy