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________________ TTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTN गिरसमेद हरी तित पूजिया हम जजै इतहर्ष धरै हिया ॥५॥ ॐ हीं आपाढकृष्णषष्ठयां मोक्षमंगलप्राप्ताय श्रीविमलनाथजिनेन्द्रायाधं निर्वपामीति जयमाला दोहा छंद । अति उपमालंकार। गनन चहत उड़गन गगन, छिति थितिके छह जेम। तिमि गुन बरनन बरनन,–माहिं होय तव केम ॥१॥ साठधनुष तन तुग है, हेमवरन अभिराम। वर बराह पद अंक लखि, पुनि पुनि करों प्रनाम ॥२॥ छंद तोटक । (वर्ण १२)। जय केवलब्रह्म अनंतगुनी। तुव ध्यावत शेप महेश मुनी ॥ परमातम पूरन पाप हनी । चितचिंततदायक इष्ट धनी ॥३॥ भवआतपध्वंसन इदुकरं । घर साररसायन शर्मभरं । सब जन्मजरामृतदाघहरं । शरनागतपालन नाथ वरं ॥४॥ नित संत तुमे इन नामनिते॥ चितचिंतत हैं गुनगामनित ॥ अमलं अचलं अटलं अतुलं । अरलं अछलं अथलं अकुलं ॥५॥ 达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达 %3
SR No.010717
Book TitleVartaman Chovisi Pooja Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVrundavandas
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1985
Total Pages177
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size6 MB
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