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________________ आवश्यक दिग्दर्शन __ जीवन में असफल होने वालों की समाधि पर असावधानी और . लापरवाही आदि शब्द लिखे जाते हैं। ---स्वेट मार्डेन पानी जैसी चंचलता से मनुष्य ऊँचा नहीं उठ सकता। -वर्क जो व्यक्ति अपने हृदय में दुर्गुणों पर इतना विजयी हो गया है कि दुगुणों के प्रकार और उनके उद्गम को जान सके तो वह किसी भी . प्राणी से घणा नहीं करेगा, किसी भी प्राणी का तिरस्कार नहीं करेगा। + शान्ति उसे ही प्राप्त होती है, जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है, जो प्रतिदिन अधिकाधिक आत्मसंयम और मस्तिष्क को अपने अधिकार मे रखने का शान्तिपूर्वक उद्योग करता है। मनुष्य बुरे स्वभाव, घृणा, स्वार्थ, तथा अश्लील और गर्हित विनोदों के द्वारा अपना संहार करता है और फिर जीवन को दोष देता है। उसे स्वयं अपने आपको दोष देना चाहिए । श्राप जैसा चाहें वैमा अपना जीवन बना सकते हैं, यदि आप . दृढ़ता के साथ अपनी भीतरी वृत्तियों को ठीक करें। -जेम्स एलन पश्चात्ताप के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य पिछले पापों पर सच्चे मन से लजित हो, और फिर कभी पाप करने का प्रयत्न न करे। -संत अबूबकर जब तक कोई कड़ाई के साथ अपनी परख न करेगा, तब तक वह अपने मन की धूर्तताओं को न समझ सकेगा। -कनफ्यूशियस
SR No.010715
Book TitleAavashyak Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Maharaj
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1950
Total Pages219
LanguageSanskrit, Hindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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