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________________ संकेत सूची , © B401 सति स्त्री कर्म $.****--Pet: (अ) -अव्यय (इसका अर्थ विधिकृ -विधि कृदन्त लगाकर लिखा गया स -सर्वनाम ___ सक सम्बन्ध कृदन्त प्रक -अकर्मक क्रिया सक -सकर्मक क्रिया अनि अनियमित --सर्वनाम विशेषण प्राज्ञा -प्राज्ञा --स्त्रीलिंग -कर्मवाच्य हेल -हेत्वर्थ कृदन्त (क्रिविन)-क्रिया विशेषण ( ) -इम प्रकार के कोष्ठक अव्यय (इसका अर्थ मे मूल शब्द रक्खा =लगाकर लिखा गया है। गया है) -तुलनात्मक विशेषण [ ( +()+( ) ] -पुल्लिग इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर+ -प्रेरणार्थक क्रिया चिह्न किन्ही शब्दो मे सधि का धोतक है। यहां अन्दर के कोष्ठको कृदन्त -भविष्यत्काल मे गाथा के शब्द ही रख दिये गये हैं। -भाववाच्य [ ( )-( )-( ) ] -भूतकाल इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर - -भूतकालिक कृदन्त चिह्न समास का द्योतक है। -वर्तमानकाल [ [( )-( )... ] वि] -वर्तमान कृदन्त नहाँ समस्त पद विशेषण का वि -विशेषण कार्य करता है, वहां इस प्रकार के विधि -विधि कोष्ठक का प्रयोग किया गया है । 56 ] समयसार
SR No.010711
Book TitleSamaysara Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages145
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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