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________________ . . व्रत का बन्धः साहस और शक्ति प्रदान करता है । प्रतिकूल परिस्थिति में. . इसके द्वारा अपनी मर्यादा से विचलित न होने की प्रेरणा प्राप्त होती है। व्रत के बन्धन से ही गांधीजी विलायत में मद्य, मांस और परस्त्री गमन के पापों से बच सके और आगे चल कर 'महात्मा' की महान् पदवी से विभूषित हुए । माता की प्रेरणा से जैन मुनि के समक्ष ग्रहण किए व्रतों ने उनके जीवन को कितना प्रभावित किया, इस बात को वह भली भांति समझ सकेंगा जिसने उनकी जीवनी का अध्ययन किया है। किन्तु व्रत ग्रहण करना यदि महत्वपूर्ण है तो उसका यथावत् पालन करना भी कम महत्व पूर्ण नहीं है । उचित है कि मनुष्य अपने सामर्थ्य को तोल कर और परिस्थितियों का विचार करके व्रतको स्वीकार करे और फिर दृढ़ संकल्प के साथ उस पर दृढ़ रहें । व्रत ग्रहण करके उसका निर्वाह नहीं करने के भयंकर . दुष्परिणाम या अनर्थ हो सकते हैं । किंतु चूक के डर से व्रत ही नहीं करना वड़ी भूल है । जो कठिनाई आने पर भी व्रत का निर्वाह करता है और अपने संकल्प बल में कमी नहीं आने देता वह सभी कठिनाइयों को जीत कर उच्च बन जाता है। और अन्त में पूर्ण निर्मल बन कर चरम सिद्धि का भागी होता है। __ साध जीवन का दर्जा बहुत ऊंचा है, इसका कारण यही है किावे महाव्रतों का मनसा, वाचा, कर्मणा पालन करते हैं, और महाव्रतों के पालन के लिए उपयोगी जो नियम उपनियम हैं, उनके पालन में भी जागरूक बने रहते हैं । ऐसा साधु अपनी साधना में सफलता प्राप्त कर परम ज्ञान पाता है। यदि ऊंची मंजिल वाला फिसल गया तो वह चोट भी गहरी खाता है । अतः उसे ... बहुत ही सावधान होकर चलना पड़ता है । भव-भव के बन्धनों को काटने में वही सफल होता है जो व्रतों का पूर्ण रूप से निर्वाह करता है। अपरिग्रह भी महाव्रतों में एक है । इस व्रत में साधक को पूर्ण रूप से अकिंचन होकर रहना पड़ता है। मगर श्रावक के लिए पूर्ण अपरिग्रह होकर रहना शक्य नहीं हैं, अतएव वह मर्यादित परिग्रह रखने ' की छूट लेता है। किन्तु व्रतधारी. श्रावक परिग्रह को गृह-व्यवहार चलाने का · · साधन मात्र मानता है । कमजोर आदमी लकड़ी का सहारा लेकर चलता है, और
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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