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________________ उनकी आराधना से संतुष्ट और प्रसन्न होकर वर दे दिया कि जिसके सिर पर हाथ रख दोगे वही भस्म हो जाएगा। 'करेला और नीम चढ़ा' की कहावत चरितार्थ हुई । आसुरी प्रकृति के साथ शक्ति का संयोग हुआ तो उनकी दानवता और अधिक बढ़ गई । उन्होंने शंकर पर ही हाथ रखने की सोची। शंकर स्वयं संकट में फंस गए। जान बचाने के लिए भागने लगे और वे दोनों __ भाई उनका पीछा करने लगे। मार्ग में विष्णु मिल गए। शंकर ने अपनी मुसीबत की कहानी उन्हें सुनाई तो विष्णु ने उपालंभ देते हुए कहा-आपने अपात्रों को वर दिया ही क्यों ! हथियार को अधिक तेज करने से उसकी काटने की शक्ति बढ़ती ही है । अस्तु, जो होना था हो गया। अब मैं सम्भालने - का प्रयत्न करता हूँ। ... ____ विष्णु सुन्द-उपसुन्द के समीप पहुंचे। उन्होंने जब विष्णु से बाबा (शंकर) का परिचय पूछा तो विष्णु ने उन्हें सलाह दी कि यह वर वास्तविक है या धोखा ? इस बात की परीक्षा तो पहले कर लेनी चाहिए । वृथा भटकने से क्या लाभ है ? विष्णु की बात सुन्द-उपसुन्द को जंच गई। उन्होंने परीक्षा के लिए .. एक दूसरे के सिर पर हाथ रखखा और दोनों भस्म हो गये। आज दुनिया के बड़े राष्ट्रों की स्थिति भो सुन्द-उपसुन्द के समान .. है । अगर ये एक-दूसरे पर हाथ फेरेंगे तो दुनिया का सर्वनाश कर छोड़ेंगे। यह ... सब आसुरी शक्ति की उच्छ खल वृद्धि का परिणाम है । शक्ति में आसुरीपन धार्मिकता के प्रभाव से उत्पन्न होता है। शक्ति स्वयं तो शक्ति ही होती है, उसके साथ धर्मभाव हुआ तो वह दैवी रूप में होती है और अधर्म हुआ तो आसुरी रूप धारण कर लेती है। जो मनुष्य उदितोदित होता है वह धर्म का आचरण करके प्राप्त शक्ति का सदुपयोग करता है और अपने जीवन को देवी सम्पत्ति से विभूषित बना लेता है । वह जिस समाज और देश में जन्म लेता है, उसके उत्थान में अपना उत्थान मानता है और अपने पुण्य-प्राच. रण से पवित्रता का विस्तार करता है। ऐसे सत्पुरुषों का लौकिक और पारलौकिक कल्याण होता है।
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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