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________________ ३४] जब वनराज शैशव काल में था, उसकी माता के मुख पर हाथ फेर दिया। माता ने विचार किया-बच्चे ने इस घटना को देख लिया है और उसकी लाज लुट गई है ! उसके हृदय को इतना गहरा आघात लगा कि उसने प्राणों का परित्याग कर दिया। आपके विचार में यह घटना साधारण-सी हो सकती है। और कई लोग वनराज की माता के प्राणोत्सर्ग को कोरी भावुकता कह सकते हैं, मगर उसकी पृष्ठ भूमि में तो उदाप्त संस्कार मौजूद हैं, उस पर विचार करने की मैं प्रेरणा करना चाहता हूँ । उस महिला को अपनी लज्जा एवं मर्यादा की रक्षा करने का कितना ध्यान था। ___ एक कवि ने भारतीयों की वर्तमान दशा का चित्रण करते हुए लिखा है हम देखते रहते नजर के सामने ललना-परा । क्योंकि नहीं हममें रहा, वह वीर्य-बल अनुपम अभी। हम बन गये निर्वीर्य,कायर, भोरु क्षयरोगी सभी। आज तो अधिकारियों को आवेदन पत्र देने की निर्भीकता भी आप में नहीं रही। ऐसे भीरू भला देश, धर्म, और दीन, हीन, सती की क्या रक्षा कर सकेंगे। सदाचार की रक्षा करने के लिए भारत के प्राचीन वीर पुरुषों ने कुछ भी नहीं उठा रक्खा था। उसके लिए उन्होंने सर्वस्व निछावर कर दिया, प्राणों तक की आहुति देने में संकोच नहीं किया। भारत माता के बड़ेबड़े ज्ञानी, दानी, मानी और वीर पुत्र हुए हैं । नारियों ने भी ऐसे वीरोचित कार्य किया हैं जो पुरुषों के द्वारा भी होने संभव न थे। हमारे पूर्वज ज्ञान और विवेक की मशाल लेकर चलते थे, इसी कारण ऐसे नर-नारियों का जन्म हुआ। बादशाही तल्तनत के समय आततायी शासक थे, फिर भी उस समय ऐसे वीर पुरुष हुए हैं जो उन्हें राह पर ले आते थे। अकबर ने देश के लोगों की धर्मभावना का श्रादर किया। वह धर्मान्ध नहीं, धर्मसहिष्णु था। कहते हैं-वह सभी धर्म के नेताओं से सम्पर्क रखता था।
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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