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________________ ३८४] धर्म एव हतो हन्ति, धर्मो रक्षति रक्षितः ।. - निस्सन्देह आज देश पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं परन्तु संकट भी । वरदान सिद्ध हो सकता है यदि हम उससे सही शिक्षा लें । हमें इस संकट के : समय धैर्य रखना है और इससे प्ररणा लेनी है । यतीत की भूलों को दूर करना। है और नवीन जीवन का सूत्रपात करना है। 'नवीन जीवन' कहने का कारण . केवल यही है कि हम उस जीवन को भूल गये हैं, अन्यथा वह प्राचीन जीवन ही.. है जिसमें प्रत्येक वर्ग अपने-अपने धर्म का पालन करता था। ...... - अाज संकट की इन घड़ियों में देश के सभी राजनीतिक दल एक सूत्र में आबद्ध हो गए हैं। सभी वर्गों के नेता यह अनुभव करने लगे हैं कि एकता के द्वारा ही राष्ट्रीय संकट को सफलता के साथ पार किया जा सकता है । धर्म, .. जाति, प्रान्त, भाषा या किसी अन्य आधार से उत्पन्न कटुना के वातावरण को : समाप्त कर बन्धुता, प्रीति और एकता की भावना का विकास किया गया तो देश का मनोबल बढ़ेगा और सारा मंकट टल जायगा । यदि कोई देश परास्त होता है तो वह भीतर की गड़बड़ से परास्त होता है। जिस देश में हार्दिक एकता हो उसे कोई परास्त नहीं कर सकता । वह आक्रमणकारी को निकाल : बाहर कर देगा। ....... किसी भी संगठन को शुद्ध बनाये रखने के लिए नैतिकता अनिवार्य रूप से आवश्यक है । कृषक, श्रमिक शासक, व्यवसायी आदि सभी अपने-अपने कर्तव्य के प्रति प्रामाणिक रहें, अप्रामाणिकता और वैयक्तिक स्वार्थ को त्याग दें और.. . उनमें जागरण या जाए तो यह देश के लिए अत्यन्त हितकर होगा। खास तौर , -: से शासकवर्ग को सोचना है कि अनैतिक आचरण करने से और नैतिकता के . प्रति उपेक्षा भाव रखने मे क्या अनीति को बढ़ावा नहीं मिलेगा ? जनता चाहे जिस तरह से धनार्जन करे, सरकार का खजाना भरना चाहिए; यह नीति आगे . चल कर देश को रसातल में नहीं पहुंचा देगी? क्या यह दुनिति सरकार के लिए
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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