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________________ २४.] बना रहे, ऐसा आदर्श जीवन उस दम्पती ने व्यतीत किया । किन्तु साधारण साधक के लिए तो यही श्रेयस्कर है कि ब्रह्मचर्य की साधना के लिए वह स्त्री के सान्निध्य में न रहे और एकान्त में वार्तालाप आदि न करे । ... मुनि स्थूलभद्र की साधना उच्च कोटि की थी। उनका संयम अत्यन्त प्रबल था । एक शिश को, जिसमें कामवासना का उदय नहीं है, इन्द्राणी भी षोडशवर्षीया सुन्दरी का रूप धारण करके प्रावे तो उसे नहीं लुभा सकती। स्थूलभद्र ने अपने मन को बालक के मन के समान वासना विहीन बना लिया था । यही कारण है कि प्रलोभन की परिपूर्ण सामग्री विद्यमान होने पर भी रूपकोशा उन्हें नहीं डिगा सकी, उन्होंने ही रूपकोशा के मन को संयम को ओर मोड़ दिया। वर्षावास का समय समाप्त हो गया । मुनिराज प्रस्थान करने लगे। रूपकोशा उन्हें विदाई दे रही है । वड़ाही भाव भीना दृश्य है । मनुष्य का मन सदा समान नहीं रहता । सन्त-समागम पाकर बहुतों के मन पर धार्मिकता और आध्यात्मिकता का रंग चढ़ जाता है किन्तु दूसरे प्रकार के वातावरण में पाते ही उसके उतरते भी देर नहीं लगती । धर्मस्थान में प्राकर और धामिकों के समागम में पहुँच कर मनुष्य व्रत और संयम की बात सोचने लगता है किन्तु उससे भिन्न वायुमंडल में वह बदल जाता है । सामान्य जनों की ऐसी मनोदशा होती है । मुनि स्थूलभद्र मानवीय मन को इस चंचलता से भलीभाँति परिचित थे। अतएव उन्होंने प्रस्थान समय रूपकोशा को सावधान किया, भद्रे ! तू ने अपने स्वरूप को पा लिया है । अब सदा सतर्क रहना, काम क्रोध की लहरें तेरे मन-मानस सरोवर में न उठने पार्वे और उनसे तेरा जीवन मलीन न बन जाय । तेरा परायारूप-विकारमय जीवन-चला गया है, कुसंगति का. निमित्त पाकर तेरे निज रूप पर पुन : कचरा न आजाय । पावन जीवन की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि पाप की मलीन वृत्तियों से सदैव अपने को बचाया जाय । देखना, अाज तेरे जीवन में जो निर्मलता और भव्यता आई है, वह वासना के विष से विषाक्त न वन जाय । तेरे जीवन में महामंगल का जो द्वार उन्मुक्त हुआ है वह स्थगित न हो जाय । अन्तः करण में जो पवित्र प्रकाश उदित हुआ
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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