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________________ . . .: : .: :. .......: [ २८३. वासना और विकार की आधी से प्रभावित दीप बुझ जायेंगे। वही दीपक अमर रहेगा जिसे वासना को प्रांधी स्पर्श नहीं कर सकती। ... .... ...... .... .... .. भगवती सूत्र में भगवान महावीर और गौतम स्वामी के जो प्रश्नोत्तर विद्यमान हैं, वे हमारे लिए प्रकाशपूज हैं। भगवान ने न केवल वाणी द्वारा बल्कि करणी द्वारा भी शिक्षा दी है । जो चल चुका है और पहुँच चुका है उसे चरण चिह्न नहीं देखने पड़ते । पीछे चलने वालों को चरण चिह्न देखने - पड़ते हैं। अगर हम उनके चरण चिह्नों को देख कर उनके मार्ग पर चलेंगे जिन्होंने सिद्धि प्राप्त की है या जो प्रात्मोत्थान के पथ के पथिक हैं तो जो ...सिद्धि गौतम को मिली वह हमें भी मिल सकती है। भले ही विघ्न आएं, . बाधाएं हमें रुकने को मजबूर करें, कालक्षेप हो किन्तु जिसका संकल्प अचल है और जो उस मार्ग से न हटने का निश्चय कर चुका है, उसे सिद्धि प्राप्त हो कर ही रहेगी। दीपावली के प्रसंग पर व्यापारी हानि-लाभ का हिसाब निकालते हैं। - लाभ देखकर. प्रसन्न और हानि देखकर विषण्य होते हैं। हानि है तो आगे. उसे लाभ में परिणत करने का संकल्प करते हैं और दुगना . काम करते हैं। जीवन के इस महान व्यवसाय में भी यही नीति अपनानी चाहिए। उसकी ... भी चिन्ता करनी चाहिए । आर्थिक लाभ और हानि का सम्बन्ध सिर्फ .. वर्तमान जीवन तक ही सीमित है, मगर जीवन व्यापार का सम्बन्ध अनन्त . भविष्य के साथ है । यदि साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका दीवाली की रात्रि में, वर्ष में एक बार भी शुद्ध हृदय से गहरा विचार करें तो उन्हें लाभ होगा। ..... व्यापारी चांदी के टुकड़ों का हिसाब रखता है जिनमें कोई स्थायित्व ... नहीं है तो साधक को भी अपने जीवन का, अपनी साधना, अपने सद् गुणों .. के लाभा लाभ का हिसाब रखना चाहिये । विना हिसाब वाला, रामभरोसे ..
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
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