SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५६ । सामायिक में वैठ जाना भी दूषण है। अभिमान के वशीभूत हो कर या पुत्र धन विद्या श्रादि के लाभ की कामना से प्रेरित हो कर सामायिक की जाती है तो वह भी मानसिक दोष है । प्रशस्त मानसिक विचारों के कारण सामायिक से अानन्द लाभ के बदले उलटा कर्म बन्ध होता है । अतएव साधक को इस अोर सावधान रहना चाहिए और प्रसन्न एवं शान्त चित्त से समभाव को जागृत करने के उद्देश्य से, वीतराग भाव की वृद्धि के लिए तथा कर्मनिर्जरा के हेतु ही सामायिक की आराधना करनी चाहिए। (२) वयदुष्परिणहाणे-सामायिक का दूसरा दोप है वचन का दुष्प्रणिधान अर्थात् वचन का अप्रशस्त व्यापार । सामायिक के समय आत्मचिन्तन, 'भगवत् स्मरण या स्वात्मरमण की ही प्रधानता होती है, अतएव सर्वोत्तम । यही होगा कि मौन भाव से सामायिक का पाराधन किया जाय । यदि प्राव" श्यकता हो और बोलने का अवसर पाए तो भी संसार व्यवहार सम्बन्धी बातें नहीं करना चाहिए । हाट, हवेली या बाजार सम्बन्धी बातें न करे, काम कथा और युद्ध कथा से सर्वथा बचता रहे । कुटुम्ब-परिवार के हानि लाभ की बातें करना भी सामायिक को दूषित करना है । भगवान् महावीर ने कहा-मानव ! सामायिक आत्मोपासना का परम साधन है । अतएव सामायिक के काल में अपनी अात्मा के स्वरूप को निहार, आत्मा के अनन्त अज्ञान वैभव को पहचानने का प्रयत्न कर, भेद विज्ञान की अलौकिक ज्योति को वृद्धिगत कर, मन की एका.. ग्रता के साथ वचन को गोपन कर और सम्पूर्ण उपयोग अपनी ही पात्मा में समाहित कर ले । इतना न हो सके तो कम से कम वचन का दुष्प्रणिधान तो ___.. मत कर । ऐसा बोल जो हित, मित, तथ्य, पथ्य और निर्दोष हो। सामायिक के समय परमात्मा की स्तुति और शान्त पठन में वाणी का .. उपयोग किया जा सकता है। ऐसा करना वचन का सुप्रणिधान है। ____ योगाचार्य ऋषि पतंजलि ने योग के आठ अंग-यम, नियम, आसन, ..., प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान धारणा और समाधि उनमें परिगणित हैं। योग
SR No.010710
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages443
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy