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________________ [८] साधना का चमत्कार जीवन को ऊँचा उठाने का एकमात्र उपाय सुसाधना है, जैसे नल के द्वारा पानी गगनचुम्बी इमारतों पर पहुँच जाता है, वैसे साधना के द्वारा मनुष्य का जीवन महा-उच्च बन जाता है । मगर ज्ञान के अभाव में साधना की ओर मनुष्य की प्रवृत्ति नहीं होती । अतः सर्वप्रथम मनुष्य को ज्ञान प्राप्ति में यत्न करना चाहिए । दो तरह से मानव को ज्ञान प्राप्ति होती है एक प्राक्तन संस्कारों से-जिसको बिना गुरु या उपदेश के ज्ञान प्राप्त होता है, उसे निसर्ग कहते हैं और दूसरे सत्संग से होने वाले ज्ञान को संसर्ग ज्ञान भी कहते हैं। कहा भी है-'सुच्या जाणइ कल्लाणं, सुच्चा जाणइ पावर्ग । सत्संगति भी ज्ञान की प्राप्ति का प्रमुख साधन है। जिसका पूर्व जन्म उल्लेख योग्य नहीं होता, वह सत्पुरुषों की संगति द्वारा • ज्ञान की झलक पा लेता है। प्राणिमात्र के हृदया में ज्ञान का भण्डार भरा है । कहीं बाहर से कुछ लाने की आवश्यकता नहीं है, परन्तु निमित्त के बिना उसका पाना कठिन है । सुयोग से किसी विशिष्ट निमित्त के मिलते ही. उसका उपयोग लिया जाय तो अनायास प्रकाश प्राप्त हो जाता है । जैसे दियासलाई में अग्नि सन्निहित है, केवल तूली के घर्षण की आवश्यकता है। वैसे ही मानव की चेतना सद्गुरु से घर्षण पाते ही जल उठती है । आवश्यकता केवल शुभनिमित्त पाकर पुरुषार्थ करने की है। सामान्यजन की चेतना नाबालिग श्रीमंत पुत्र के कोष की तरह है, जो अज्ञानता के कारण अपने खजाने को खोल नहीं सकता है । जब किसी योग्य व्यक्ति की संगति से उसका अज्ञान दूर होता है, तब वह खजाने को पा लेता और जीवन को संभाल लेता है । ऐसे सदगुरु की कृपा से जीव भी आत्म ज्ञान का अखूट खजाना पा लेता है ।
SR No.010709
Book TitleAadhyatmik Aalok Part 01 and 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Shashikant Jha
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages599
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Discourse
File Size28 MB
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