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________________ ४ ] नंदन लक्ष्मण और कैकयी के पुत्र भरत शत्रुघ्न युक्त परिवृत है । इनमें रामचंद्र के साथ सीता का संबंध सर्वथा योग्य है। राजा जनक ने राजपुरुषो को अयोध्या भेजकर सीता का सम्बंध कर लिया। सीता ने जब यह सम्बंध सुना तो वह भी अत्यन्त प्रमुदित हुई। नारद मुनि का आगमन अपमान तथा वैरशोधन की चेष्टा ___ एक दिन नारद मुनि सीता को देखने के लिए आये। सीता ने उनका भयानक रूप देखा तो वह दौड़कर महल में चली गई। नारद मुनि जव पीछे-पीछे गए तो दासियों ने अपमानित कर द्वारपाल द्वारा वाहर निकलवा दिया। नारद मुनि क्रुद्ध होकर सीधे वैताढ्य पर्वत पर रथनेउर नरेश के यहां गए और सीता का चित्र बनाकर भामंडल के आगे रखा। भामंडल ने सीता पर मुग्ध होकर उसका परिचय प्राप्त किया और उसकी प्राप्ति के लिए उदास रहने लगा। चन्द्रगति ने भामण्डल को समझा-बुझाकर आश्वस्त किया और सीता की माग करने मे कदाचित् जनक अस्वीकार हो जाय, तो अपना अपमान हो जाने की आशंका से चपलगति विद्याधर को छल-बलपूर्वक राजा जनक को ही बुला लाने के लिए मिथिला भेजा। विद्याधरों का षड़यन्त्र और विवाह की शर्त चपलगति घोड़े का रूप धर मिथिला गया। राजा जनक ने लक्षणयुक्त सुन्दर अश्व देखकर अपने यहां रख लिया। एक महीने वाद राजा स्वयं उस पर आरूढ़ होकर वन मे गया तो अश्व ने राजा जनक को आकाश मार्ग से चन्द्रगति विद्याधर के समक्ष लाकर उपस्थित कर दिया। चन्द्रगति ने भामण्डल के लिए सीता की मांग की तो जनक
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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